चीन ने ‘बेल्ट एन्ड रोड’ योजना के तहत अंतरराष्ट्रीय कारोबार में दबदबा बनाने के लिए कई देशों को अपने शिकंजे में ले रखा है। अब भारत ने भी इसका मुकाबला करने के लिए कमर कस ली है, जिसकी शुरुआत नई दिल्ली में चल रहे G20 समिट के दौरान हो गई। भारत ने अमेरिका, यूरोप, सऊदी अरब और UAE के साथ मिल कर एक ऐसा इंफ़्रास्ट्रक्चर विकसित करने की योजना बनाई है, जिससे अमेरिका और खाड़ी देशों के अलावा यूरोप तक में भारत का डंका बजेगा और भारत अंतरराष्ट्रीय कारोबार का एक नया और बड़ा केंद्र बन कर उभरेगा।
इस परियोजना को फ़िलहाल I2U2 फ्रेमवर्क (भारत, इजरायल, अमेरिका और UAE) के तहत विकसित नहीं किया जा रहा है, क्योंकि इजरायल और सऊदी अरब के बीच संबंधों को सुधारने की प्रक्रिया अब भी चालू है। बाद में इजरायल को भी इससे जोड़ा जाएगा। बताया जा रहा है कि ये व्यापक रेलवे एवं शिपिंग कॉरिडोर होगा, जिसके तहत कॉमर्स और ऊर्जा के साथ-साथ डिजिटल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में भी विकास के नए आयाम लिखे जाएँगे। अमेरिका के प्रिंसिपल डिप्टी नेशनल सेक्रेटरी एडवाइजर जॉन फिनर ने ये जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि इंफ़्रास्ट्रक्चर में जो गैप है, उसे ये भरेगा। ये एक उच्च गुणवत्ता का, पारदर्शी और टिकाऊ इंफ्रास्ट्रक्चर योजना होगी, जिसे किसी पर थोपा नहीं जाएगा बल्कि सब स्वेच्छा से इसमें सहभागी बनेंगे। किस क्षेत्र की क्या डिमांड है, इसका ध्यान रखा जाएगा। इस मामले में ये चीन के ‘बेल्ट एन्ड रोड’ से अलग होगा। BRI में न तो गुणवत्ता है, ऊपर से इसके चंगुल में फँस कर कई देश कर्ज के बोझ तले डूब चुके हैं। कइयों को जबरन समझौते कर इसके तहत लाया गया। साथ ही इसमें पारदर्शिता की भी कमी है।
अमेरिका का कहना है कि वहाँ के मौजूदा राष्ट्रपति जो बायडेन की पश्चिमी एशिया को लेकर जो नीति है, उसके तहत ये किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दुनिया के तीन बड़े क्षेत्र आपस में जुड़ेंगे और इससे समृद्धि आएगी। कम और मध्यम आय वाले देशों में इंफ़्रास्ट्रक्चर की जो कमी है, उसे ये पूरा करेगा। अमेरिका ने इसमें पूरे सहयोग का भरोसा दिया है। साथ ही देशों के बीच तनाव कम करने में भी मदद मिलेगी। अमेरिका का कहना है कि वो इसे सकारात्मक एजेंडे के रूप में देख रहा है, जहाँ सारे काम सहमति के साथ किए जाएँगे।
इस परियोजना से खाड़ी देश और भारत के बीच कारोबार में जबरदस्त वृद्धि होगी। हालाँकि, अभी इसका खाका ही तैयार किया जा रहा है और G20 में इसकी घोषणा नहीं होगी। इसे लेकर बातचीत महीनों से चलर ही है। इसे हम एक बहुदेशीय रेल-पोर्ट एवं रूट इंफ्रास्ट्रक्चर विकास परियोजना कह सकते हैं। इससे शिपिंग में समय और पैसे – दोनों की बचत होगी। डीजल की खपत कम होने से प्रक्रिया तेज और सस्ती होगी। सऊदी अरब भारत के साथ-साथ इटली में भी निवेश के लिए योजना बना रहा है।
बता दें कि एक दिन पहले ही राहुल गाँधी ने एक दिन पहले ही यूरोप के बर्सेल्स में पत्रकारों को संबोधित करते हुए चीन की तारीफों के पुल बाँधे थे और कहा था कि वो इस धरती पर एक वैकल्पिक व्यवस्था तैयार कर रहा है, जिसका जवाब देने के लिए भारत के पास कुछ नहीं है। जबकि सच ये है कि महीनों से भारत इसमें लगा हुआ है। राहुल गाँधी ने दावा किया था कि वो इस तरफ से कोई विकल्प सामने आते नहीं देख रहे। राहुल गाँधी विदेश में जाकर भारत को लेकर नकारात्मकता फैलाने में लगे हुए हैं।