बर्थ सर्टिफिकेट को लेकर एक अक्टूबर से नया नियम लागू होने वाला है. इससे बर्थ सर्टिफिकेट की अहमियत और ज्यादा बढ़ जाएगी. 1 अक्टूबर से बर्थ सर्टिफिकेट को सिंगल डॉक्यूमेंट के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा. केंद्र सरकार ने इस बिल को संसद के मानसून सत्र में पास किया था. वहीं बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसका नोटिफिकेशन जारी किया है.
इस नियम के लागू हो जाने से आपको किसी दूसरे डॉक्यूमेंट की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. बर्थ सर्टिफिकेट से ही आपके काम हो जाएंगे. जैसे एडमिशन, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट और आधार बनवाने सहित कई सारे काम आप बर्थ सर्टिफिकेट से करा सकेंगे. यह कई दस्तावेजों की जरूरत को कम कर देगा. बच्चे के जन्म प्रमाणपत्र को पैरेंट्स के आधार कार्ड से जोड़ दिया जाएगा.
Registration of Births and Deaths (Amendment) Act, 2023 that allows the use of a birth certificate as a single document for admission to an educational institution, issuance of a driving licence, preparation of voter list, Aadhaar number, registration of marriage or appointment… pic.twitter.com/fk7KIJ2myv
— ANI (@ANI) September 14, 2023
सरकार करेगी डाटा बेस तैयार
अस्पतालों समेत लगभग सभी सरकारी महकमों के पास यह डाटा मौजूद होगा, जिसका वे जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल कर सकेंगे. जन्म-मृत्यु के रिकार्ड को मैनेज करने के लिए सरकार एक डेटा बेस तैयार करेगी. मानसून सत्र में संसद के दोनों सदनों से इस बिल को मंजूरी मिल गई थी. रजिस्ट्रेशन ऑफ बर्थ एंड डेथ (अमेंडमेंट) बिल 2023 लोकसभा में एक अगस्त को और राज्यसभा में सात अगस्त को पास हुआ था.
नए नियम से क्या होगा?
अगर अस्पताल में किसी की मौत होती है तो वो डेथ सर्टिफिकेट जारी करेगा. अगर बाहर किसी की मौत होती है तो उस व्यक्ति की देखभाल करने वाला डॉक्टर या मेडिकल प्रैक्टिशनर डेथ सर्टिफिकेट देगा. इसके तहत रजिस्ट्रार को बर्थ और डेथ का फ्री में रजिस्ट्रेशन करना होगा. सात दिन के भीतर सर्टिफिकेट दिया जाएगा. वहीं, अगर किसी को रजिस्ट्रार के कामकाज से कोई शिकायत है तो 30 दिन के भीतर उसकी अपील करनी होगी. रजिस्ट्रार को 90 दिन के भीतर अपना जवाब देना होगा.
इसके फायदे
डेथ और बर्थ रजिस्टर को इलेक्टोरल रोल से जोड़ दिया जाएगा. जैसे ही कोई व्यक्ति 18 साल का होगा, उसका नाम खुद-ब-खुद वोटर लिस्ट में जुड़ जाएगा. वहीं, जब किसी व्यक्ति की मौत होगी, तो इसकी जानकारी चुनाव आयोग के पास पहुंच जाएगी. इसके बाद उसका नाम खुद ब खुद वहां से हट जाएगा.