भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने बेंगलुरु में आयोजित 36वें LAWASIA सम्मेलन में शिरकत की। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के नैतिक इस्तेमाल को लेकर बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि इन दिनों हम एआई के नैतिक इस्तेमाल के बुनियादी सवालों का लगातार सामना कर रहे हैं।
36वें लवासिया सम्मेलन में CJI ने की शिरकत
यह बातें चीफ जस्टिस ने 36वें लवासिया (LAWASIA) कॉन्फ्रेंस में अपने संबोधन के दौरान कहीं। इस कॉन्फ्रेंस में जस्टिस चंद्रचूड़ का टॉपिक था- ‘पहचान, व्यक्ति और राज्य; आजादी के नए पथ’। लवासिया एशिया पैसिफिक रीजन के वकीलों, जजों, ज्यूरिस्ट और वैधानिक संगठन का एक एसोसिएशन है।
व्यक्ति की पहचान की उसके फैसलों से जुड़ी है- CJI
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आजादी कुछ नहीं बल्कि अपने लिए फैसला लेने योग्यता है जिससे हमारा जीवन बदल जाए। चीफ जस्टिस ने कहा व्यक्ति की पहचान की उसकी एजेंसी और जीवन में लिए गए उसके फैसलों से जुड़ी है।
उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग अपनी जाति, जाति, धर्म, लिंग या यौन रूझान के कारण भेदभाव का सामना करते हैं। उन्हें हमेशा उत्पीड़न का सामना करना पड़ेगा। यह सामाजिक रूप से प्रभावी है।
मुख्य न्यायाधीश ने यह भी बताया कि डिजिटल युग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कई आकर्षक पहलुओं का सामना कैसे किया जाता है। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और व्यक्तित्व के बीच एक जटिल संबंध है।