गाजा में सीजफायर खत्म हो रहा है और उसके बाद हमास-इजराइल की जंग का सबसे विध्वंसक दौर शुरू हो सकता है, जिसमें सीधे तौर पर इजराइल से ईरान टकराएगा. अगर अमेरिका इस युद्ध में कूदा तो पूरा अरब सुलगने लगेगा. हालात ऐसे भी हो सकते हैं कि जंग, परमाणु युद्ध में बदल जाए, क्योंकि कुछ घंटे पहले ईरान के न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर के पास एक जबरदस्त विस्फोट हुआ. अगर ये विस्फोट न्यूक्लियर सेंटर पर होता तो ईरान में भारी तबाही मच सकती थी. इस विस्फोट के पीछे इजराइल या अमेरिका का हाथ बताया जा रहा है
इजराइल को डर है कि सीजफायर खत्म होते ही ईरान हमला कर सकता है, इसलिए वो प्रीएम्टिव स्ट्राइक कर रहा है, जबकि अमेरिका को शक है कि ईरान धमकाने के बावजूद परमाणु हथियार बनाने में जुटा है. इसी वजह से अमेरिका उसे सबक सिखाना चाहता है. हालांकि ऐसी कई वजहें हैं जो इस्फहान न्यूक्लियर सेंटर के पास विस्फोट पीछे इजराइल का हाथ होने की तरफ इशारा करती हैं.
- पहली वजह- गाजा युद्ध का अंत ईरान फिलिस्तीन की स्थापना से करना चाहता है
- दूसरी वजह- ईरान का परमाणु कार्यक्रम इजराइल के लिए सबसे बड़ा खतरा है
- तीसरी वजह- इजराइल को शक है कि 7 दिन में ईरान 3 परमाणु बम बना सकता है
- चौथी वजह- यूएम एटॉमिक एजेंसी भी ईरान पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हुई है
- पांचवीं वजह- सीजफायर के बाद ईरान युद्ध में हमास के साथ उतर सकता है
इजराइल ये बार-बार कहता रहा है कि हमास-हिज्बुल्लाह और हूती जैसे संगठनों के पीछे ईरान है. नहीं तो इन संगठनों की इतनी हिमाकत नहीं है जो इजराइल पर हमला कर सके. इजराइल के चीफ ऑफ स्टाफ हेरजी हालेवी ने गाजा पर लगातार हमले की बात कही है. जाहिर है इससे ईरान जरूर भड़केगा.
इजराइल के विदेश मंत्री ने क्या कहा?
इजराइल के विदेश मंत्री योव गैलेंट ने कहा है कि दो दिन बाद सीजफायर खत्म हो रहा है और सेना फिर ग्राउंड ऑपरेशन शुरू करने के लिए तैयार है. इजराइल को खतरा है कि ईरान इस बार हमला कर सकता है, इसलिए इजराइल ईरान पर प्रीएम्पिटव स्ट्राइक कर रहा है. तो क्या इस्फहान न्यूक्लियर सेंटर के पास विस्फोट इसी प्रीएम्टिव स्ट्राइक का असर है या फिर इसके पीछे अमेरिका है.
अमेरिका लगातार ईरान के न्यूक्लियर सेंटर को टारगेट करता रहा है, लेकिन अभी तक हमला नहीं किया था. हालांकि ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी की मौत के पीछे अमेरिका का हाथ बताया जाता है. सुलेमानी ड्रोन अटैक में मारा गया था.
दरअसल सुलेमानी ही वो ईरानी कमांडर था जो ईरान समर्थित जिहादी गुटों पर कंट्रोल रखता था. हमास, हिज्बुल्लाह, हूजी और सीरिया-इराक में सक्रिय दूसरे संगठन सुलेमानी के इशारे पर अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमले करते रहे हैं लेकिन सुलेमानी की मौत के बाद से Islamic Revolutionary Guard Corps काफी कमजोर हुआ, लेकिन अब फिर से ईरान उसे मजबूत कर रहा है.
यही वजह है कि एक तरफ हमास और हिज्बुल्लाह इजराइल को दहला रहे हैं. IRGC की तरफ से हथियारों से लेकर फंडिंग तक की जा रही है. दूसरी तरफ सीरिया और इराक में अमेरिकी ठिकानों पर लगातार हमले किए जा रहे हैं जिससे अमेरिका बौखलाया हुआ है. वो हर कीमत पर ईरान को जवाब देना चाहता है. हो सकता है कि न्यूक्लियर सेंटर के पास विस्फोट इसी का इशारा हो. वैसे इसके पीछे कई और वजहें भी हैं.
- पहली वजह- अरब में अमेरिका के दबदबे के लिए सबसे बड़ा चैलेंज ईरान बना हुआ है
- दूसरी वजह है- ईरानी प्रॉक्सी संगठनों ने अरब में अमेरिकी बेस पर 66 से ज्यादा हमले किए हैं
- तीसरी वजह है- ईरान इजराइल की मदद करने पर अमेरिका पर भड़का हुआ है. युद्ध छेड़ने की धमकी दे चुका है.
- चौथी वजह है- मेरिका ईरान को कमजोर करके प्रॉक्सी संगठनों की ताकत कम करना चाहता है.
- पांचवीं वजह है- हमले से अमेरिका दिखाना चाहता है. कभी भी न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर पर अटैक कर सकता है
- यानी हमास-इजराइल की बीच जंग का दूसरा चैप्टर सीजफायर के बाद शुरू हो सकता है, में जंग सीधे तौर पर एक तरफ ईरान और उसके समर्थिक जिहादी ग्रुप, बकि सामने अमेरिका और इजरायल होंगे किसी भी कीमत पर ईरान को हावी नहीं होने देंगे. फिर चाहे ईरान में न्यूक्लियर विस्फोट ही क्यों ना करना पड़े.