मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाला बिल आज लोकसभा से पास हो गया. लोकसभा में इस बिल को ध्वनिमत से पारित किया गया. राज्यसभा में यह बिल पहले ही पास हो चुका है. राष्ट्रपति के सिग्नेचर के बाद यह बिल कानून की शक्ल लेगा. लोकसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विपक्ष के उन आरोपों को खारिज कर दिया, जिसमें ये कहा जा रहा था कि यह विधेयक मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्तियों से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को दरकिनार करने के लिए लाया गया है.
मेघवाल ने कहा कि हम जो लाए हैं वह सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ नहीं है. इसे सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक लाया गया है. यह अनुच्छेद 324(2) के तहत सूचीबद्ध प्रावधानों के अनुसार है. मेघवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में फैसला सुनाया था कि चीफ इलेशअन कमिश्नर और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर संसद द्वारा कानून बनाए जाने तक प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय समिति इनका चयन करेगी. उन्होंने कहा कि 1991 में एक कानून बना, लेकिन उसमें मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का उल्लेख नहीं था.
CEC की नियुक्ति कार्यपालिका का मामला- मेघवाल
लोकसभा में चर्चा के दौरान एक सदस्य ने ‘सर्च कमेटी’ में पीएम मोदी को शामिल नहीं करने की बात कही. इस पर कानून मंत्री ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कार्यपालिका का मामला है और ऐसे में प्रधानमंत्री का न होना उचित नहीं होगा. उन्होंने AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी के उस आरोपों का खंडन किया, जिसमें ओवैसी ने कहा था कि पीएम मोदी बाबा साहब भीव राव आंबेडकर को नहीं मानते. मेघवाल ने कहा कि पीएम मोदी जितना आंबेडकर का सम्मान करते हैं, उतना आज तक किसी अन्य प्रधानमंत्री ने नहीं किया.