अरब देशों की सरकारों के प्रतिनिधियों ने 12 साल के निलंबन के बाद सीरिया को अरब लीग में वापस लाने के लिए रविवार को मतदान किया. यह एक दशक से अधिक लंबे निलंबन के अंत का प्रतीक है और इसके साथ ही राष्ट्रपति बशर अल-असद ने वर्षों के अलगाव के बाद अरब जगत में वापसी की है.
मिस्र की राजधानी काहिरा में हुए इस मतदान के कुछ दिन पहले शीर्ष स्थानीय राजनयिकों की जॉर्डन में मुलाकात हुई थी, जिसमें संघर्ष लगातार कम होने के मद्देनजर सीरिया को अरब लीग में वापस लाने की रूपरेखा पर चर्चा की गई थी. 19 मई को सऊदी अरब की मेजबानी में अरब लीग सम्मेलन होने वाला है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2254 के अनुरूप संकट के राजनीतिक समाधान तक पहुंचने के लिए अरब सरकारों के साथ जारी संवाद के तहत भी सीरिया की वापसी का निर्णय लिया गया है.
अरब लीग ने एक संचार समिति गठित की है ताकि सऊदी अरब और सीरिया के पड़ोसी देशों लेबनान, जॉर्डन और इराक के घटनाक्रमों पर नजर रखी जा सके.
सीरिया के साथ रिश्ते सामान्य बनाने को लेकर अरब देशों के बीच सर्वसम्मति नहीं बन पाई है. कई देशों की सरकारों ने इस बैठक में भाग नहीं लिया जिनमें कतर भी शामिल है. कतर सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद सरकार के खिलाफ विपक्षी समूहों को लगातार समर्थन दे रहा है.
22-सदस्यीय समूह ने नवंबर 2011 में दमिश्क की भागीदारी को उस वर्ष के शुरू में शुरू हुए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों के खिलाफ देश की कार्रवाई के कारण निलंबित कर दिया था. ये विरोध एक नागरिक संघर्ष में बदल गए और इसके परिणामस्वरूप 500,000 से अधिक लोगों की मौत हुई, लाखों लोगों का विस्थापन हुआ और देश के बुनियादी ढांचे और उद्योग को काफी नुकसान हुआ.
जब से युद्ध शुरू हुआ, सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद राजनीतिक रूप से अलग-थलग पड़ गए थे. हालांकि, 19 मई को सऊदी शहर जेद्दा में अरब लीग के शिखर सम्मेलन से पहले, हाल के सप्ताहों में राजनयिक गतिविधियों की बाढ़ देखी गई है.