नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी (एनआईटी) इंफाल में पढ़ रहे गोरखपुर-बस्ती मंडल के छह छात्र मणिपुर में चल रही हिंसा के बीच फंसे हैं। गोली और बम के धमाकों के बीच छात्र डरे-सहमे हैं। रात में जब उनके कैंपस के आसपास बम के धमाके होते हैं, तो उनकी रूह कांप उठती है। सभी एक दूसरे को दिलासा देते हैं और यही दुआ करते हैं कि उनका कैंपस महफूज रहे। इंटरनेट सेवा बंद है। खौफ के साए में रह रहे सभी छात्र वहां से निकलने की जद्दोजहद में हैं तो उनके घरवाले यहां परेशान हैं। छात्रों ने यूपी सरकार से मदद गुहार लगाई है।
कॉलेज प्रशासन ने सभी छात्रों को घर जाने का निर्देश दिया है। सभी छात्र लगातार घरवालों के संपर्क में हैं। उनका कहना है कि अब तक यूपी सरकार ने कोई संपर्क नहीं किया है। जबकि, तेलगांना, आंध्र प्रदेश और मध्यप्रदेश की सरकारें वहां के छात्रों से संपर्क कर उन्हें निकालने में मदद कर रही हैं।
चारो तरफ धुएं का गुबार और गोलियों की आवाज
एनआईटी कैंपस में फंसे कैंपियरगंज के गेरुई खुर्द गांव के रहने वाले बीटेक द्वितीय वर्ष के छात्र प्रदुम्न कुमार ने बताया कि रविवार को हुई बातचीत में बताया कि आज हालात कुछ हद तक सामान्य हैं। तीन, चार दिन पहले गोली, बम की आवाज से पूरा शरीर हिल जा रहा था। कैंपस के चारों तरफ केवल धुएं के गुबार और गोलियों की आवाज ही सुनाई दे रही थी। कैंपस में केवल यूपी, बिहार के छात्र ही बचे हैं। अन्य छात्र चले गए हैं। नाश्ता बंद कर दिया गया है। सुबह और शाम केवल दाल, चावल और सब्जी दिया जा रहा है।
बताया कि कैंपस में पानी का टैंकर आता है, उसी के पानी का इस्तेमाल पीने के लिए किया जाता है। इस बीच यह बात फैल गई कि पानी में जहर मिला दिया गया है। इसके बाद पानी पीने के लाले पड़ गए थे। फिर किसी तरह पानी को चेक किया गया, तो पता चला कि यह महज अफवाह थी।
बताया कि 15 मई को प्लेन का टिकट मिला है। इसके बदले 15 हजार रुपये खर्च करने पड़े हैं। मणिपुर से लखनऊ की फ्लाइट मिली है। साथ में 15 लोग हैं, जो प्रदेश के अलग-अलग शहरों के रहने वाले हैं। घर में पिता रविंद्र नाथ भी घटना के बाद से ही चिंतित है। वह पल-पल फोन पर बेटे से हालात के बारे में जानकारी ले रहे हैं।
हिंसा के वीडियो ने डरा दिया है
एनआईटी कैंपस में फंसे सिद्धार्थनगर जिले के बर्डपुर के रामनगर के रहने वाले आशीष दूबे बीटके प्रथम वर्ष के छात्र हैं। उन्होंने बताया कि चार दिन पहले कैंपस के आसपास के पहाड़ों पर बम और गोली की आवाज सुनाई दे रही थी। उसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर भी किया जा रहा था। वीडियो में ऐसी भयानक हिंसा दिख रही थी, जिसे शब्दों में बता पाना कठिन है। अब स्थानीय स्तर पर इंटरनेट को बंद कर दिया गया है। दिल में डर इस कदर बैठ गया है कि हॉस्टल के कमरे से बाहर निकलने में भी घबराते हैं।
11 छात्रों ने किसी तरह छह हजार रुपये में आठ मई की मणिपुर से कोलकाता की फ्लाइट ली है। इनमें पांच छात्र बिहार के हैं। इनके अलावा बलिया का छात्र जीतेंद्र, ग्रेटर नोएडा का अभिषेक कुमार, सहारनपुर का अभिषेक और बनारस का तरप सिंह हैं।
आशीष ने बताया कि खाने में केवल दाल, चावल सब्जी और दिन भर में पीने के लिए केवल दो लीटर पानी मिल रहा है। सेना की सुरक्षा में एयरपोर्ट पहुंचाने की जिम्मेदारी एनआईटी प्रशासन ने ली है। बताया कि पिता दिनेश कुमार दूबे से लगातार वार्ता हो रही है। वह लोग ज्यादा चिंतित है। क्योंकि, घर का अकेला हूं।
एनआईटी कैंपस में फंसे बस्ती के मुंडेरवा बाजार के रहने वाले नीरज प्रताप बीटेक प्रथम वर्ष के छात्र हैं। नीरज ने बताया कि शिक्षक हॉस्टल को खाली कर चुके हैं। हॉस्टल की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है, लेकिन रजिस्टार ने साफ शब्दों में कह दिया है कि टिकट कराकर जल्द से जल्द घर चले जाओ। हालात इतनी जल्दी ठीक नहीं होंगे। अभी स्थिति और बिगड़ने वाली है। इसके बाद से दिल में और डर बैठ गया है।
कैंपस के आसपास पहाड़ी इलाके हैं, जहां पर शनिवार की देर रात रुक-रुककर धमाके की आवाज सुनाई दे रही थी। इसके बाद कैंपस की बिजली बंद कर दी गई थी। हर तरफ केवल सन्नाटा है। सिर्फ सेना के जवानों की गाड़ियों का आवाज ही सुनाई दे रही है। नीरज ने बताया कि टिकट 15 से 16 हजार मिल रहे हैं। इसकी वजह से अभी टिकट नहीं करवाया हूं। एक से दो दिनों के अंदर टिकट करवाकर घर आ जाऊंगा। इन सबके बीच पिता सुदामा प्रसाद और मां चिंता देवी से हर दिन बात हो रही है। लोग परे
संतकबीरनगर के सांथा निवासी बीटेक तृतीय वर्ष के छात्र नीरज कुमार गुप्ता ने बताया कि यहां के हालात बदतर हैं। कैंपस में रहने के बावजूद काफी डर लग रहा है। दिन में तो किसी तरह सब अपने-अपने कमरे में रह रहे हैं, लेकिन खौफ की वजह से रात में सभी छात्र एक जगह इकट्ठा हो जाते हैं। बिजली भी बंद कर दी जाती है। खाना-पीना, स्नान सब मुश्किल हो गया है। पांच दिन हो गए हैं स्नान किए हुए। नाश्ता बंद कर दिया गया है। केवल दो समय का खाना मिल रहा है। वह भी केवल दाल-चावल। एनआईटी प्रशासन की ओर से जाने के लिए कहा जा रहा है। लेकिन यहां से निकलना मुश्किल है। उत्तरप्रदेश सरकार से निवेदन है कि जल्द से जल्द यहां से बाहर निकाले।
बस्ती के बभनान के रहने वाले बीटेक प्रथम वर्ष के छात्र सौरभ जायसवाल भी एनआईटी इंफाल में फंसे हैं। उन्होंने बताया कि एक-एक दिन काटना मुश्किल हो गया है। पीने का पानी भी नहीं मिल पा रहा है। नहा भी नहीं पा रहे हैं। एनआईटी प्रशासन भी हाथ खड़ा कर चुका है। वहीं, सीआरपीएफ की सुरक्षा के बावजूद बहुत डर लग रहा है। पांच दिन से इंटरनेट बंद है। कैंपस का वाई-फाई कभी कभी काम करता है। फोन से बात हो जा रही है। परिवार के सभी सदस्य बहुत परेशान हैं। फोन पर केवल एक ही बात कह रहे हैं कि किसी भी तरह से वहां से निकल आओ, लेकिन फ्लाइट की टिकट नहीं मिल पा रही है। यूपी और बिहार छोड़कर अन्य सभी प्रदेशों की सरकारें एनआईटी में फंसे विद्यार्थियों को निकाल चुकी हैं।