रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कुछ सीमावर्ती राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की है. ऐसे में उन्होंने शुक्रवार(19 जनवरी) को कहा कि यह पता लगाने के लिए एक विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता है कि क्या इसके पीछे भारत के विरोधी हैं. साथ ही उन्होंने कहा, कि जलवायु परिवर्तन अब केवल मौसम संबंधी घटना नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा है
जरूरत पड़ने पर मित्र देशों से सहयोग मांगेगी सरकार: (राजनाथ सिंह)
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विभिन्न राज्यों के लिए सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा 670 करोड़ रुपये की लागत से कार्यान्वित एक पुल और 34 अन्य सीमा क्षेत्र बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन किया. इसके बाद उन्होंने जोशीमठ के पास ढाक गांव में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में ऐसी घटनाओं की संख्या में वृद्धि को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. जरूरत पड़ने पर सरकार इस मुद्दे पर मित्र देशों से सहयोग मांगेगी.
सिंह ने किसी देश का नाम लिए बगैर कहा, “उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और लद्दाख जैसे कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्राकृतिक आपदाओं की आवृत्ति बढ़ी है. विशेषज्ञों का मानना है, कि यह जलवायु परिवर्तन से जुड़ा है. लेकिन मुझे लगता है, कि यह पता लगाने के लिए एक अध्ययन की जरूरत है कि क्या इसमें हमारे विरोधियों की भी कोई भूमिका है.
रक्षा मंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन अब केवल मौसम संबंधी घटना नहीं रह गई है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ी हुई है. उन्होंने कहा कि इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्राकृतिक आपदाओं की आवृत्ति में वृद्धि को रक्षा मंत्रालय ने गंभीरता से लिया है.
सिंह ने उत्तराखंड में सीमांत क्षेत्रों से बड़े पैमाने पर हो रहे पलायन का जिक्र करते हुए इसे चिंता का विषय बताया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बुनियादी ढांचे के विकास से जुड़ी योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचा रहे हैं. सीमा क्षेत्र के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए मोदी सरकार का दृष्टिकोण पिछली सरकारों से अलग है. उन्होंने कहना है, कि सीमा के पास रहने वाले लोग सैनिकों से कम नहीं हैं. अगर एक सैनिक वर्दी पहनकर देश की रक्षा करता है, तो सीमावर्ती क्षेत्रों के निवासी अपने तरीके से मातृभूमि की सेवा कर रहे हैं.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का कहना है, कि मोदी सरकार ने पिछली सरकारों द्वारा अपनाए गए दृष्टिकोण को बदल दिया है. उन्होंने कहा, हम सीमावर्ती क्षेत्रों को बफर जोन नहीं मानते हैं. हमारे लिए वे हमारी मुख्यधारा का हिस्सा हैं. हम अपनी विकास यात्रा में समुद्र से लेकर सीमा तक जाना चाहते हैं. इसलिए हम अपने सीमावर्ती इलाकों में भी विश्वस्तरीय अवसंरचना तैयार कर रहे हैं.