सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को जम्मू कश्मीर के जेल से बाहर प्रदेश की जेलों में भेजे गए 20 से अधिक कैदियों के ट्रांसफर के मामले पर सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद Supreme Court ने मामले को जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट भेजा. चीफ जस्टिस ने कहा कि इस मामले की सुनवाई जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट को करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर का पब्लिक सेफ्टी एक्ट 2018 से ही हाईकोर्ट में पेंडिंग पड़ा हुआ है. लिहाजा हाईकोर्ट ही इस मामले की सुनवाई करे.
शीर्ष अदालत ने ये भी कहा कि जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट को मामले की सुनवाई जल्द करनी चाहिए. हालांकि, जब मार्च में इस मामले पर सुनवाई हुई, तो केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को कैदियों के ट्रांसफर की वजह बताई थी. सरकार ने बताया था कि जम्मू-कश्मीर के पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत जिन 20 कैदियों को केंद्रशासित प्रदेश से बाहर भेजा गया है, उनका मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है. दरअसल, श्रीनगर के रहने वाले राजा बेगम और तीन अन्य लोगों ने याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई की गई.
याचिकाकर्ताओं की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में वकील सत्य मिश्रा पेश हुए थे. उन्होंने अदालत के समक्ष कहा था कि उनके मुवक्किलों को जम्मू-कश्मीर की जेलों के बाहर नहीं भेजा जाए. वकील ने अपने मुवक्किलों को जम्मू-कश्मीर की जेलों से बाहर भेजने का विरोध भी किया.
वकील ने अदालत के आगे तर्क देते हुए कहा था कि मुवक्किलों को उत्तर प्रदेश और हरियाणा की जेलों में भेजा गया है. ये जम्मू-कश्मीर में बंदी बनाए जाने वाले कानून का उल्लंघन है. वकील ने कहा कि इन कैदियों के परिवारों को परेशानी उठानी पड़ रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि उनके परिजन उनसे मुलाकात नहीं कर पा रहे हैं.
केंद्र सरकार की तरफ से इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए. उन्होंने अदालत से कहा कि सभी निर्देशों का पालन किया जाएगा. मगर जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, वो कैदी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं.
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि ये बिल्कुल भी ऐसा नहीं है, जैसे कि दो लोग बात कर रहे हैं. दरअसल, श्रीनगर के पारिमपोरा के रहने वाले राजा बेगम के बेटे आरिफ अहमद शेख को गिरफ्तार किया गया. उसे कश्मीर से गिरफ्तार कर यूपी के वाराणसी में मौजूद सेंट्रल जेल में भेज दिया गया. उसे पिछले साल अप्रैल में पीएसए के तहत बंदी बनाया गया था.