इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर आज का दिन काफी अहम है. कल सुप्रीम कोर्ट ने बॉन्ड की खरीद-बिक्री से जुड़ी जानकारी उपलब्ध कराने के लिए भारतीय स्टेट बैंक को साढ़े तीन महीने से भी अधिक अतिरिक्त वक्त देने से इनकार कर दिया. सर्वोच्च अदालत ने एसबीआई से 12 मार्च तक इलेक्शन कमीशन को सभी जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है. इस तरह एसबीआई के पास अब कुछ ही घंटे रह गए हैं.
एसबीआई को सुप्रीम कोर्ट ने कल तगड़ी फटकार लगाई थी और कहा कि जब आपके पास जानकारी पहले से उपलब्ध है फिर क्यों आपको 30 जून तक का समय चाहिए. सर्वोच्च अदालत ने एसबीआई से आज मुख्यतः दो चीज जमा करने को कहा है. पहला – किसने, किस तारीख को कितने का इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदा. दूसरा – किस राशि की बॉन्ड को किस तारीख को किसने भुनाया.
6 मार्च ही को देनी थी जानकारी
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने की 15 तारीख को चुनावी पारदर्शिता का हवाला देकर लाई गई मोदी सरकार की इस महत्त्वकांक्षी स्कीम को असंवैधानिक करार दे दिया था. इसके बाद अदालत ने एसबीआई से 12 अप्रैल के बाद खरीदे और भुनाए गए बॉन्ड्स की जानकारी चुनाव आयोग को देने की बात की थी. जानकारी 6 मार्च तक ही उपलब्ध करा देनी थी मगर एसबीआई ने ऐसा नहीं किया और कहा कि ये मुश्किल काम है, उसे वक्त चाहिए. सुप्रीम कोर्ट में ये दलील काम नहीं आई.
किसकी याचिका पर आया फैसला?
अब जब आज एसबीआई सारी जानकारी चुनाव आयोग को उपलब्ध करा देगा तो यह जानना दिलचस्प होगा कि किसने शख्स या कंपनी ने कितने का चंदा दिया. इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को मुख्यतः तीन लोगों ने चुनौती दी थी. पहला – चुनावी पारदर्शिता को लेकर काम करने वाली एडीआर यानी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स. दूसरा – सीपीआईएम. तीसरा – कांग्रेस नेता जया ठाकुर.
किसकी कितनी हुई कमाई
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के मुताबिक मार्च 2018 से लेकर जनवरी 2024 के बीच इलेक्टोरल बॉन्ड से कुल 16 हजार 492 करोड़ का चंदा राजनीतिक दलों को मिला. 12 अप्रैल 2019 के बाद के चंदे की जानकारी स्टेट बैंक को देनी है.
वित्त वर्ष (फाइनेंशियल ईयर) 2017 से लेकर 2021 के बीच के आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो इस दौरान इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये कुल करीब 9 हजार 188 करोड़ रूपये का चंदा राजनीतिक दलों को मिला.
ये चंदा 7 राष्ट्रीय पार्टी और 24 क्षेत्रीय दलों के हिस्से आया. इन 5 बरसों में चुनावी बॉन्ड से बीजेपी को 5 हजार 272 करोड़, कांग्रेस को इसी दौरान 952 करोड़ रूपये हासिल हुए. जबकि बाकी के बचे लगभग 3 हजार करोड़ रूपये में 29 राजनीतिक दलों को मिलने वाला चंदा था.