भारतीय सेना के पश्चिमी कमांड ने हाल ही में राजस्थान के रेगिस्तान में अपने घातक ड्रोन किलर की क्षमताओं का प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन के दौरान स्वार्म ड्रोन्स को आसमान में उड़ाया गया. यानी ड्रोन्स के पूरे के पूरे समूह को. उसके बाद इस वेपन सिस्टम से उस पर निशाना लगाया गया.
इस वेपन सिस्टम का नाम है शिल्का सेल्फ प्रोपेल्ड राडार गाइडेड एंटी-एयरक्राफ्ट वेपन सिस्टम (Shilka Self-propelled radad guided anti-aircraft weapon system). इसका राडार सिस्टम टारगेट को खुद ही ट्रैक करके उसके ऊपर निशाना लगाने का निर्देश वेपन सिस्टम को देता है.
वेपन सिस्टम में चार नलियों वाली ऑटोमैटिक बंदूक होती है. जो लगातार फायरिंग कर सकती है. इसकी गोलियां भी काफी मोटी होती है. ये 23 मिलिमीटर की होती हैं. इस वेपन सिस्टम को भारत में सोवियत संघ से लाया गया था. लेकिन बाद में इसे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने इजरायल की मदद से अपग्रेड कर लिया.
चार लोग मिलकर चलाते हैं इस हथियार को
भारतीय सेना के पास ऐसे 75 वेपन सिस्टम हैं. यह वेपन सिस्टम 19 टन वजनी है. 21.5 फीट लंबे वेपन सिस्टम की चौड़ाई 10.3 फीट और ऊंचाई 8.5 फीट है. राडार सिस्टम लगाने के बाद यह करीब चार फीट और बढ़ जाती है. इसके अंदर चार क्रू मेंबर बैठते हैं. कमांडर, ड्राइवर, गनर और राडार ऑपरेटर.
एक मिनट में दागता है ताबड़तोड़ 2000 गोलियां
इसका मुख्य हथियार 23 मिलिमीटर के चार ऑटोकैनन होते हैं. जिन्हें अमूर क्वाड ऑटोमैटिक एंटी-एयरक्राफ्ट गन कहते हैं. यह 2000 गोलियां एक मिनट में दाग सकता है. इस वेपन सिस्टम में 515 लीटर ईंधन आता है. यह सड़क पर 450 किलोमीटर और ऑफरोड पर 300 किलोमीटर तक जा सकता है.
कहीं भी ले जा सकते हैं, कहीं भी तैनाती संभव
सड़क पर इस वेपन सिस्टम की अधिकतम स्पीड 50 km/hr है, जबकि ऑफरोड पर 30 km/hr की गति से चलता है. इजरायल के साथ मिलकर भारत ने इस वेपन सिस्टम पर थ्रीडी फेज्ड एरे राडार लगाया है. कंप्यूटर्स लगाए हैं. इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल फायर कंट्रोल सिस्टम लगाया है.
अब यह सिस्टम 15 किलोमीटर दूर से अपने टारगेट को पहचान सकता है. अधिकतम 55 डिग्री सेल्सियस और माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में काम कर सकता है. यह वेपन सिस्टम उस हवाई टारगेट को ढाई किलोमीटर दूर से गिरा सकता है, जो 800 km/hr की गति तक उड़ रहा हो.