देश के सियासी मानचित्र को उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम और मध्य के आधार पर 5 हिस्सों में बांटें तो सबसे ज्यादा 12 राज्य और 141 सीटें पूर्वी भारत में आती हैं। हालांकि, सियासी खेल में उत्तर और द. भारत की सबसे अहम भूमिका है। ये दोनों मिला दें तो कुल 257 सीटें हो जाती हैं। इस बार एनडीए और इंडिया गठबंधन 5 राज्यों की 228 सीटों पर आमने-सामने हैं। इन राज्यों में यूपी, बिहार, दिल्ली, तमिलनाडु, झारखंड और महाराष्ट्र शामिल हैं।
उत्तर भारत: 5 राज्य, 4 केंद्रशासित, 127 सीटें
ये 5 राज्य- उत्तर प्रदेश (80), पंजाब (13), हरियाणा (10) उत्तराखंड (5), हिमाचल (4) दिल्ली (7) जम्मू-करमीर (6). लामा (1) संगिढ़ (1) राज्य तमिलनाडू (39), कर्नाटक (28), आंध प्रदेस (25), केरल
ताबड़तोड़ रैलियों में एनडीए से पिछड़ता जा रहा ‘इंडिया’
उत्तर भारत की 127 सीटों में से सबसे ज्यादा 80 यूपी में हैं। इन 80 में से 64 एनडीए के पास हैं। फिर भी भाजपा और एनडीए की सहयोगी रालोद ने इंडिया गठबंधन और बसपा के मुकाबले पिछले एक हफ्ते में ज्यादा सक्रियता दिखाई है। पीएम मोदी दो चुनावी सभाएं व एक रोड शो कर चुके हैं। अखिलेश ने अभी तक एक ही रैली की है। सपा- कांग्रेस पहली बार लोकसभा चुनाव में साथ हैं। मायावती ने कोई जनसभा नहीं की। यूपी में सीटें बढ़ाने के लिए भाजपा पूरी ताकत झोंक रही है। यूपी को हवा उत्तराखंड पर भी असर डालती है। यहां 5 में से 4 सीटों पर कांग्रेस ने नए चेहरे उतारे हैं। सीएम पुष्कर धामी तीन महीनों में 45 फैलियां कर चुके हैं। पंजाब में पहली बार चतुष्कोणीय मुकाबला (भाजपा, आप, कवीस, शिअद है। ऐसे में समीकरण प्रभावित हो सकते हैं। हरियाणा में भाजपा-जेजेपी गठबंधन टूटने का बहुत ज्यादा असर नहीं दिख रहा। दिल्ली समेत चार केंद्रशासित प्रदेशों में अभी ज्यादा हलचल नहीं हो रही है।
द. भारत: 5 राज्य, 1 केंद्रशासित, 130 सीटें
ये राज्य- तमिलनाडू (39), कर्नाटक (28), आंध प्रदेस (25), केरल (20), तेलंगाना (17) और पुदुरो (1)
कहीं खुद, कहीं घटक दलों संग दम भर रही है कांग्रेस
तमिलनाडु की सभी 39 सीटों पर 19 अप्रैल को वोटिंग है। ‘इंडिया यहां डीएमके चीफ व सीएम एमके स्टालिन के पीछे खड़ा है। एनडीए के लिए पीएम मोदी खुद मोर्चा संभाले हुए हैं। सरकारी योजनाओं के दम पर स्टालिन की बढ़त है, पर नए पार्टी अध्यक्ष अमलाई के नेतृत्व में भाजपा भी 10-12 सीटों पर टक्कर दे रही है। आंध में लड़ाई वाईएसआरसीपी व टीडीपी के बोचा है। सीएम जगन प्रदेश की यात्रा पर हैं और बड़ी सभाएं कर वोटर्स को अपनी ओर करने की कोशिश कर रहे हैं। तेलंगाना में कांग्रेस मल्लिकार्जुन खरगे व राहुल को आगे करके चल रही है। भाजपा भ्रष्टाचार व परिवारवाद जैसे मुद्दों पर कांग्रेस और केसीआर दोनों पर हमलावर है। कर्नाटक में पिछले चुनाव में भाजपा को 28 में 25 सीटें मिली थीं। इस बार भाजपा ने पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा की जेडीएस को साथ जोड़ लिया है। केरल में पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 15 सीटें जीती थीं और भाजपा का खाता भी नहीं खुला था। इस बार भाजपा मुस्लिम लीग व सुल्तान बाथरी जैसे मुद्दों से कहीस पर हमले कर रही है।
मध्य भारत: 2 राज्य, 40 सीटें
ये राज्य- मध्य प्रदेश (29) और छत्तीसगढ़ (11)
भाजपा बढ़त पर है, कांग्रेस आदिवासी वोटर्स के सहारे
मध्य भारत की 40 सीटों में से 29 मप्र में हैं। पिछली बार यहां की 29 सीटों में से महज एक जीतने वाली कांग्रेस ने इस बार आदिवासी सीटों पर फोकस किया है। वजह ये है कि विधानसभा चुनाव में एसटी के लिए आरक्षित 47 सीटों में से 22 कांग्रेस ने जीती थीं। हाल में राहुल गांधी ने यहां और शहडोल से चुनावी बिगुल फूंका। वहीं, इस बार सभी 29 सीटें जीतने के इरादे से उतरी भाजपा ने पहले ही चरण में प्रचार के लिए पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह व पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा जैसे दिग्गजों को उत्तार दिया है। उधर, छत्तीसगढ़ में पिछली बार 9 सीटें जीतने वाली भाजपा इस बार सभी 11 सीटों पर जीत का दावा कर रही है। भाजपा मोदी के चेहरे के साथ यहां विष्णुदेव साय सरकार द्वारा लिए फैसली को अपनी ताकत बता रही है। साथ सरकार महतारी बंदन योजना के तहत महिलाओं को 1-1 हजार रु. देने और किसानों का दो साल का बकाया बोनस देने जैसे काम गिना रही है।
पूर्वी भारत: 12 राज्य, 141 सीटें
ये राज्य- बंगाल (42), बिहार (40), ओडिशा (21), झारखंड (14), असम (14), अरुणाचल (2), मणिपुर (2) मेघालय (2), मिजोरम (1), नगालैंड (1),सिविकन (1),त्रिपुरा (1)
गठबंधन में भाजपा आगे है, कांग्रेस की राह आसान नहीं
प. बंगाल में भाजपा ने संदेशखाली, CAA व भ्रष्टाचार को मुद्दा बना टीएमसी की घेरेबंदी की है।टीएमसी बंगाली अस्मिता व दीदी की गारंटी के बूते है। भाजपा 20-24 व टीएमसी 17-12 सीटें जीत सकती है। लेकिन 1-2% बीट स्विंग से किस का गेम पलट सकता है। बंगाल की तरह बिहार में सभी 7 चरणों में वोट पड़ेंगे। नीतीश के भाजपा के आने से एनडीए का कुनबा मजबूत दिख रहा है। एनडीए यहां सनातन के मुद्दे पर राजद के जातीय समीकरण को लेड़ने में जुटी है। उधर,ओडिशा में 25 साल से सत्तारूढ़ बीजद और भाजपा में लड़ाई है। भाजपा को मात देने के लिए बीजद ने 21 सीटों में से 9 पर भाजपा-कांग्रेस आए लोगों को उतारा है। अब पूर्वोतर के 8 राज्य और 25 सीटों का गणित। असम में एआईयूडीएफ, एजेपी व मिजोरम की जेपीएम को छोड़ क्षेत्र के अधिकांश दल एनडीए में है। 2019 में एनडीए ने पूर्वोतर की 25 में से 19 सीटें जीती थी।
प. भारत: 4 राज्य, 101 सीटें
ये 4 राज्य- महाराष्ट्र (48) गुजरात (26)
शिवसेना-एनसीपी के नए वर्जन पर रहेगा दारोमदार
प. भारत में सियासी गणित के हिसाब से सबसे बड़ा राज्य है महाराष्ट्र, 48 लोकसभा सीटों के साथ यह यूपी के बाद दूसरे नंबर पर है। यहां के राजनीतिक समीकरण इस बार ज्यादा दिलचस्य हैं। बीजेपी, शिवसेना (शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) के बीच सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय नहीं हो पाया है। वहीं, आठ दिन पहले 21-17-10 के फॉर्मूले की घोषणा करके सीट शेयरिंग में उद्धव ठाकरे की शिवसेना, कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी (इंडिया फ्रंट) ने बढ़त बना ली है। वहीं, गुजरात में लगातार दो चुनाव से सभी 26 सीटें जीतने बाली भाजपा के लिए एकतरफा मुकाबला है। यहां अब इस बात में ज्यादा दिलचस्पी है कि किस सीट पर भाजपा कितने बड़े अंतर से जीतती है। जहां तक राजस्थान की बात करें तो पीएम मोदी यहां ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं। राहुल गांधी भी यहीं उन पर पलटवार कर रहे हैं। यहां के सियासी तापमान के मुताबिक, इस बार कांग्रेस 5-6 सीटों पर कड़ी टक्कर दे सकती है, पिछली बार शून्य पर थी।