अयोध्या के राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कराने वाले मुख्य आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित का 90 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। आचार्य लक्ष्मीकांत ने शनिवार सुबह 6:45 बजे वाराणसी में अंतिम सांस ली। आचार्य लक्ष्मीकांत के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार मनिकर्निका घाट पर किया जाएगा।
अयोध्या और काशी में दोड़ी शोक की लहर
शनिवार सुबह आचार्य लक्ष्मीकांत के निधन की सूचना मिलने के बाद काशी और अयोध्या के लोगों में शोक की लहर दौड़ गई। जनवरी महीने में अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पूजन में लक्ष्मीकांत दीक्षित की मुख्य भूमिका रहीं थी। उन्हीं के दिशा-निर्देश और मंत्रोच्चार से पूजा कराई गई थी।
काशी के प्रकांड विद्वान एवं श्री राम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य पुरोहित, वेदमूर्ति, आचार्य श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित जी का गोलोकगमन अध्यात्म व साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति है।
संस्कृत भाषा व भारतीय संस्कृति की सेवा हेतु वे सदैव स्मरणीय रहेंगे।
प्रभु श्री राम से प्रार्थना…
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) June 22, 2024
लक्ष्मीकांत का परिवार कई पीढ़ियों से रह रहा काशी में
बता दें कि आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित का परिवार कई पीढ़ियों से काशी में ही रह रहा है। लक्ष्मीकांत वाराणसी के मीरघाट स्थित सांगवेद महाविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य थे। इस महाविद्यालय की स्थापना काशी नरेश की मदद से की गई थी।
यजुर्वेद के बहुत अच्छे विद्वान थे लक्ष्मीकांत दीक्षित
आचार्य पूरे वाराणसी में वेदों के बहुत अच्छे जानकार माने जाते थे। लक्ष्मीकांत दीक्षित की गिनती यजुर्वेद के अच्छे विद्वानों में भी की जाती थी। हिंदू धर्म में किसी भी तरह की पूजा पद्धति के वह बहुत बड़े जानकार थे। दीक्षित ने वेदों और अनुष्ठानों की दीक्षा अपने चाचा गणेश दीक्षित से ली थी।