पाकिस्तान के रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ ने चेतावनी दी है कि हाल में सेना की तरफ से शुरू किृए गए आतंकवाद रोधी अभियान के तहत अफगानिस्तान स्थित प्रतिबंधित संगठन हरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान की पनाहगाहों को भी निशाना बनाया जा सकता है। इसी के साथ उन्होंने प्रतिबंधित संगठन से किसी भी तरह की बातचीत से इनकार कर दिया क्योंकि इसके लिए कोई ‘सामान आधार’नहीं है।
ऑपरेशन अज्म-ए-इश्तेहकाम शुरू
सरकार ने पिछले सप्ताह ‘ऑपरेशन अज्म-ए-इश्तेहकाम’ शुरू करने की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य पाकिस्तान पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के बढ़ते खतरे से निपटना है। टीटीपी के आतंकवादियों को अफगान तालिबान द्वारा अपनी जमीन का इस्तेमाल करने के लिए कथित तौर पर दी गई मौन सहमति की वजह से पाकिस्तान पर खतरा बढ़ता जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ नहीं
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार में प्रकाशित खबर के मुताबिक आसिफ ने वॉइस ऑफ अमेरिका को दिए साक्षात्कार में कहा कि आतंकवाद रोधी अभियान शुरू करने का फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया गया है। अमेरिका के सरकारी समाचार नेटवर्क और अंतरराष्ट्रीय रेडियो प्रसारक से उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश में स्थित टीटीपी की पनाहगाहों को निशाना बनाया जा सकता है और यह अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ नहीं होगा क्योंकि अफगानिस्तान आतंकवाद का ‘निर्यात’पाकिस्तान में कर रहा है एवं ‘निर्यातकों’ को वहां शरण दी जा रही है। आसिफ ने कहा कि टीटीपी पड़ोसी देश से अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है लेकिन साथ ही स्वीकार किया कि उसके कुछ हजार सदस्य देश में रहकर अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। उन्होंने प्रतिबंधित संगठन से किसी भी तरह की बातचीत से इनकार करते हुए कहा कि इसके लिए कोई समान आधार नहीं है।
इमरान खान पर बरसे आसिफ
खबरों के मुताबिक आसिफ ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पूर्ववर्ती सरकार को तालिबान आतंकवादियों को देश में पुनर्वास कराने के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि खान नीत पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ सरकार बातचीत के बाद करीब चार से पांच हजार तालिबान को वापस लेकर आई। अगर वह प्रयोग सफल हुआ तो हमें बताएं हम उसकी पुनरावृत्ति कर सकते हैं। ‘ऑपरेशन अज्म-ए-इश्तेहकाम’ की विपक्षी दलों द्वारा की जा रही आलोचना पर आसिफ ने कहा कि उनकी चिंताओं का समाधान किया जाएगा।
क्या है टीटीपी
टीटीपी या पाकिस्तान तालिबान कई आतंकवादी संगठनों का साझा मंच है जिसकी स्थापना 2007 में की गई थी। इसका उद्देश्य पाकिस्तान में सख्त शरिया कानून लागू करना है। संगठन को अलकायदा और अफगान तालिबान का करीबी माना जाता है और देश में कई आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है।