देश में सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर अंग्रेजों के अंतिम वायसराय की ओर से पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को दिया गया सेंगोल यानी राजदंड अब संसद की नई बिल्डिंग में रखा जाएगा. उत्तर प्रदेश (UP) के प्रयागराज म्यूजियम में यह सेंगोल करीब 75 साल तक रखा हुआ था. हालांकि, इस सेंगोल के बारे में अभी तक किसी को सही तौर पर कोई जानकारी नहीं थी.
आम नागरिकों से लेकर खुद प्रयागराज म्यूजियम के लोग भी इस सेंगोल को पंडित नेहरू की पर्सनल प्रॉपर्टी के तौर पर ही जानते थे. म्यूजियम को भी यही जानकारी थी कि यह पंडित नेहरू को तोहफे में मिली हुई गोल्डन स्टिक यानी सोने की छड़ी है. देश के आजाद होने के वक्त इस गोल्डन स्टिक को बनाने वाली तमिलनाडु की कंपनी ने दो साल पहले इस बारे में प्रयागराज म्यूजियम को जानकारी दी थी.
प्रयागराज म्यूजियम में यह गोल्डन स्टिक पहली मंजिल पर बनाई गई नेहरू गैलरी के एंट्रेंस गेट पर बने शोकेस में रखी गई थी. इस गैलरी में पंडित नेहरू के बचपन की तस्वीरों से लेकर उनके घरों के मॉडल ऑटो बॉयोग्राफी और उपहार में मिली हुई तमाम वस्तुएं रखी गईं हैं. केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के निर्देश पर यह सेंगोल तकरीबन 6 महीने पहले 4 नवंबर 2022 को प्रयागराज म्यूजियम से दिल्ली के नेशनल म्यूजियम भेज दी गई थी. नेशनल म्यूजियम में इसे इसलिए भेजा गया ताकि संसद भवन की नई बिल्डिंग में स्थापित किया जा सके.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस सेंगोल के बारे में देश को जानकारी दी. सवाल यही उठता है कि आखिरकार इस बारे में अभी तक देश को हकीकत की जानकारी क्यों नहीं थी, यह जानकारी अभी तक देश से छिपाकर क्यों रखी गई, जो चीज देश की संपत्ति थी, उसे पंडित नेहरू की प्रॉपर्टी के तौर पर म्यूजियम में क्यों रखा गया, यह लापरवाही किसकी थी और इसके लिए जिम्मेदार कौन है, खुद पंडित नेहरू या उनकी सरकार जिम्मेदार थी या किसी और की लापरवाही थी, अगर यह किसी की लापरवाही थी तो क्या इसमें किसी की जवाबदेही तय की जाएगी?
ब्रिटिश हुकूमत में किंग जॉर्ज के कहने पर अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने तमिलनाडु की एक कंपनी से यह राजदंड यानी सेंगोल तैयार कराकर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को सौंपा था. यह राजदंड सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक चिन्ह के तौर पर पंडित नेहरु को दिया गया था. पंडित नेहरू ने इसे नेहरू गांधी परिवार के पैतृक आवास आनंद भवन में रखवा दिया था.
1947 में देश की आजादी के बाद पंडित नेहरू जब प्रयागराज म्यूजियम की नई बिल्डिंग के शिलान्यास के लिए आए, तब उन्होंने आनंद भवन में रखे तमाम सामान प्रयागराज म्यूजियम को दिए जाने का ऐलान किया था. उस वक्त प्रयागराज म्यूजियम को जो लिस्ट लखनऊ हैंड ओवर हुई थी, उसमें सेंगोल को पंडित नेहरू की गोल्डन स्टिक के तौर पर दिखाया गया था. इस पर अब आने वाले दिनों में विवाद और राजनीति होना तय है.