राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जीत डोभाल ने शुक्रवार को अपने अमेरिकी समकक्ष जेक सुलिवन के साथ टेलीफोन पर बातचीत की. इस दौरान दो ताकतवर देशों के सबसे बड़े सुरक्षा अधिकारियों ने आपसी हित, जरूरी अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श किया है. इसके अलावा उन्होंने आगामी क्वाड समिट के तहत हाई लेवल कमिटमेंट्स पर चर्चा की. बता दें इस साल होने वाले सक्वाड शिखर म्मेलन की मेजबानी भारत करने जा रहा है.
National Security Adviser Ajit Doval, KC had a telephone conversation with his US counterpart Jake Sullivan on 12 July 2024. They discussed a wide range of issues of bilateral, regional and international concern and forthcoming high-level engagements under the Quad framework to… pic.twitter.com/lgvrwjgjsn
— ANI (@ANI) July 12, 2024
बता दें कि दोनों एनएसए भारत-अमेरिका संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने पर सहमत हुए, जो साझा मूल्यों और सामान्य रणनीतिक और सुरक्षा हितों पर आधारित हैं. उन्होंने शांति और सुरक्षा के लिए वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने और व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी का और विस्तार करने के लिए सामूहिक रूप से काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया.
दोनों देशों के NSA की बातचीत अहम
प्रधानमंत्री के रुस दौरे के बाद भारत-अमेरिकी संबंधों पर पड़ रहे असर को देखते हुए दोनों देशों के NSA की बातचीत काफ़ी अहम है. दरअसल इस बातचीत के पहले जेक सुलिवन ने प्रधानमंत्री मोदी की हाल की मास्को यात्रा के बारे में कहा था कि हमने भारत समेत दुनिया के हर देश को यह स्पष्ट कर दिया है कि दीर्घकालिक, भरोसेमंद साझेदार के रूप में रूस पर भरोसा करना अच्छा दांव नहीं है.
भारत के बजाय चीन का पक्ष
उन्होंने कहा कि रूस चीन के करीब होता जा रहा है. वास्तव में, यह चीन का साझेदार बनता जा रहा है. इस तरह, वे हमेशा भारत के बजाय चीन का पक्ष लेंगे. उन्होंने हालांकि माना कि भारत जैसे देशों के रूस के साथ ऐतिहासिक संबंध हैं और यह स्थिति नाटकीय रूप से रातों-रात बदलने वाली नहीं है.
अजीत डोभाल के साथ बैठक
सुलिवन पिछले महीने भारत के अपने समकक्ष अजीत डोभाल के साथ बैठक के लिए भारत आए थे. शीर्ष अमेरिकी अधिकारी ने अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी से भी मुलाकात की थी. बता दें कि पीएम मोदी 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए दो दिन के लिए रूस में थे और यूक्रेन में संघर्ष के बीच उनकी इस यात्रा पर पश्चिमी देशों की भी करीबी नजर रही.