हल्द्वानी रेलवे और अन्य विभागों की भूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 25 जुलाई को सुनवाई होगी। सुनवाई को लेकर धामी सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। रेलवे स्टेशन से बनभूलपुरा तक ढोलक बस्ती, नई बस्ती तक कथित रूप से अवैध कब्जे हैं। कब्जेदारों का दावा है ये उनकी जमीन है जबकि सरकार कहती है कि ये रेलवे ,राजस्व और वन विभाग की भूमि है। रेलवे कोर्ट और अन्य न्यायालय इस बारे में सरकार के पक्ष में फैसला दे चुके हैं। हाई कोर्ट के निर्देश पर अतिक्रमण खाली कराया जाना था, लेकिन कब्जेदार सुप्रीम कोर्ट चले गए।
बनभूलपुरा ढोलक बस्ती की वजह से रेलवे अपनी योजनाओं का विस्तार नहीं कर पा रहा है। न तो हल्द्वानी और न ही काठगोदाम में ट्रेन खड़ी करने और उनकी सफाई की व्यवस्था है। रेल लाइन के साथ साथ गौला नदी बहने से पटरी के पास तक भूमि का कटान हो चुका है, जिसकी वजह से कई बार ट्रेन सेवा रद्द भी हुई है। सुप्रीम कोर्ट में यह मामला यहां के समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के नेता लेकर गए हैं, क्योंकि यहां मुस्लिम आबादी की बसावट है जोकि इन पार्टियों का वोट बैंक मानी जाती है।
उत्तराखंड और केंद्र सरकार चाहती है कि पर्यटन की दृष्टि से यहां रेल सुविधाएं बढ़ाई जाएं और इसके लिए पर्याप्त भूमि की जरूरत है। रेलवे का आरोप है कि यहां उसकी जमीन पर अवैध कब्जा हटाना बेहद जरूरी है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट, दोनो जगह उत्तराखंड सरकार, केंद्र में रेल मंत्रालय मिलकर अपनी भूमि से अवैध कब्जा छुड़ाने के लिए पैरवी करते रहे हैं। आगामी सुनवाई की तारीख से पहले उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपने को एक पक्ष बताते हुए अर्जी लगाई थी, जिस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वक्फ बोर्ड के अधिकारियों को फटकार लगाई है। सीएम धामी ने एक बार शासन स्तर पर पूरी कसरत कराते हुए कोर्ट में खड़े होने की हिदायत दी है। बताया जाता है सीएस राधा रतूड़ी ने इस बारे में अधिकारियों की बैठक भी की है। माना जा रहा है कि 25 जुलाई को सरकार की तरफ से जोरदार तैयारी के साथ कोर्ट में जिरह की जाएगी।