केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) के 86वें स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षाबलों को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने देश की सुरक्षा में CRPF की भूमिका को सर्वोपरि बताया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर किए अपने पोस्ट में कहा, ‘CRPF के स्थापना दिवस के अवसर पर सभी को मेरी शुभकामनाएं। राष्ट्र के प्रति उनका अटूट समर्पण और उनकी अथक सेवा वास्तव में सराहनीय है। वे हमेशा साहस और प्रतिबद्धता के उच्चतम मानकों के पक्षधर रहे हैं। हमारे देश को सुरक्षित रखने में भी उनकी भूमिका सर्वोपरि है।’
On the occasion of their Raising Day, my greetings to all @crpfindia personnel. Their unwavering dedication and relentless service to the nation are truly commendable. They have always stood for the highest standards of courage and commitment. Their role in keeping our nation… pic.twitter.com/fQRQvVhzbf
— Narendra Modi (@narendramodi) July 27, 2024
गृह मंत्री अमित शाह ने भी दी बधाई
गृह मंत्री अमित शाह ने भी स्थापना दिवस के मौके पर CRPF के जवानों और उनके परिवार के सदस्यों को बधाई दी। शाह ने X पर एक पोस्ट में कहा, ‘CRPF कर्मियों और उनके परिवार के सदस्यों को बल के स्थापना दिवस पर शुभकामनाएं। CRPF ने अपनी स्थापना के बाद से ही राष्ट्रीय सुरक्षा को मिशन के रूप में लिया है। बल के बहादुर जवानों ने अपनी जान की परवाह किए बिना इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी और हर बार विजयी बनकर उभरे। मैं CRPF के उन शहीदों को नमन करता हूं, जिन्होंने कर्तव्य का पालन करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।’
Greetings to CRPF personnel and their family members on their Raising Day.
Since its inception, the @crpfindia has taken national security as its mission. The brave soldiers of the force have exerted all their might to accomplish this goal without ever caring for their lives and… pic.twitter.com/NhbmeRZvi3
— Amit Shah (@AmitShah) July 27, 2024
रियासतों के एकीकरण में थी महत्वपूर्ण भूमिका
बता दें कि CRPF की स्थापना आजादी से पहले 1939 में अंग्रेजों ने की थी। तब इस बल का नाम क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस था। आजादी के बाद 28 दिसंबर, 1949 को संसद में एक अधिनियम लाकर इस बल का नाम केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल कर दिया गया। आजादी के बाद देशी रियासतों को भारत सरकार के अधीन लाने की जिम्मेदारी भी CRPF को दी गई थी। CRPF ने जूनागढ़, हैदराबाद, काठियावाड़ और कश्मीर जैसी रियासतों को भारत में शामिल कराने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी। इन रियासतों ने भारत में शामिल होने से इनकार कर दिया था। साथ ही राजस्थान, कच्छ और सिंध सीमाओं में घुसपैठ की जांच में CRPF ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई।
1959 में चीन को हमले को किया था नाकाम
CRPF ने 21 अक्टूबर 1959 को चीन के हमले को नाकाम करते हुए देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। इस बलिदान की याद में हर साल 21 अक्टूबर को स्मृति दिवस मनाया जाता है। CRPF ने 1962 में चीनी आक्रमण के दौरान अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सेना को महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की थी जिसमें बल के 8 जवान शहीद हुए थे। इसके अलावा 1965 और 1971 में हुए भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध में भी सीआरपीएफ ने भारतीय सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर पाकिस्तान से युद्ध किया।
त्रिपुरा से किया उग्रवाद का सफाया
1970 के दशक में त्रिपुरा और मणिपुर में हुई शांति भंग के दौरान CRPF के जवानों ने कई सालों तक अभियान चला कर इलाके से उग्रवादियों का सफाया कर दिया। इसके अलावा 13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर हुए आतंकवादी हमले को CRPF के जवानों ने बहादुरी दिखाते हुए नाकाम कर दिया था। हमले के दौरान CRPF और आतंकवादियों के बीच 30 मिनट तक फायरिंग हुई थी। जिसमें 5 आतंकवादियों को मार गिराया गया था।