GST कॉउंसिल ऑफ इंडिया अगले महीने 9 सितंबर को बैठक करेगी. अगले महीने होने वाली जीएसटी काउंसिल की 54वीं बैठक में टैक्स दरों को तर्कसंगत बनाने पर चर्चा हो सकती है, लेकिन इस संबंध में बदलाव का फैसला अभी नहीं होगा. वित्त मंत्री ने कहा कि लग्जरी गुड्स और जीएसटी कम्पेंसशन सेस के संभावित विस्तार सहित प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की जाएगी.
पिछले सप्ताह बिहार के डिप्टी मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के नेतृत्व में हुई बैठक में इस पर चर्चा हुई थी कि कैसे टैक्स रेट्स को कैसे तर्कसंगत बनाया जा सकता है, हालांकि टैक्स स्लैब में कोई बदलाव न हो इसमें सभी लोग सहमत थे. सीतारमण ने कहा कि सरकार का लक्ष्य किसी भी उत्पाद पर टैक्स बढ़ाए बिना जीएसटी दरों को सरल बनाना है. उन्होंने राजनीतिक मतभेदों को किनारे रखकर राजस्व बढ़ाने के सहयोगात्मक प्रयासों के लिए राज्यों के वित्त मंत्रियों की प्रशंसा भी की.
जीएसटी कम्पेंसशन सेस की अवधि बढ़ सकती है
वित्त मंत्री ने कहा कि यदि राज्यों द्वारा अनुरोध किया जाता है तो जीएसटी काउंसिल जीएसटी कम्पेंसशन सेस को जून 2025 तक बढ़ाने पर भी विचार कर सकती है. यह सेस वर्तमान में लागू है और जीएसटी लागू होने के कारण राज्यों को होने वाले राजस्व घाटे की भरपाई के लिए कुछ वस्तुओं पर लगाया जाता है. जीएसटी काउंसिल 9 सितंबर की अपनी बैठक में हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस को 18 पर्सेंट टैक्स के दायरे से बाहर रखने पर भी चर्चा करेगी.
जमा की गई राशि के उपयोग पर फैसला
कर्नाटक सहित कई राज्यों ने यह मुद्दा उठाया है कि उस राशि के बारे में फैसला लिया जाना चाहिए,जो राज्यों को मुआवजे के तौर पर मिलनी चाहिए थी,लेकिन केंद्र सरकार ने कोविड के दौरान उसका उपयोग किया. काउंसिल इस पर भी चर्चा कर सकती है कि राज्यों के बीच जीएसटी संसाधनों का बटवारा कैसे किया जाए. यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जिसमें बदलाव की मांग कई राज्यों ने जीएसटी के शुरुआत से ही कर रहे है.
कहां इस्तेमाल हो रहे ये पैसे?
मुआवजा उपकर जून 2022 में समाप्त हो गया, लेकिन लेवी के जरिये जमा की गई राशि का इस्तेमाल कोविड-19 के दौरान केंद्र द्वारा उधार लिए गए 2.69 लाख करोड़ रुपये के ब्याज और मूलधन को चुकाने के लिए किया जा रहा है. जीएसटी परिषद को अब अपने नाम के संबंध में मौजूदा जीएसटी मुआवजा उपकर के भविष्य और ऋण चुकाने के बाद राज्यों के बीच इसके वितरण के तौर-तरीकों पर फैसला करना होगा. क्षतिपूर्ति की कम राशि जारी करने के कारण राज्यों के संसाधन अंतर को पूरा करने के लिए, केंद्र ने उपकर संग्रह में कमी के एक हिस्से को पूरा करने के लिए 2020-21 में 1.1 लाख करोड़ रुपये और 2021-22 में 1.59 लाख करोड़ रुपये बैक-टू-बैक ऋण के रूप में उधार लिए और जारी किए. जून 2022 में, केंद्र ने क्षतिपूर्ति उपकर की वसूली को मार्च 2026 तक बढ़ा दिया.