राजस्थान हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में दो से अधिक संतान वाले सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन पर रोक लगा दी है। दरअसल, साल 2023 में कॉन्ग्रेस की तत्कालीन राज्य सरकार ने दो से अधिक बच्चों वाले सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन पर से लगी रोक हटा ली थी। इसके बाद उन्हें बैक डेट से प्रमोशन दिया जा रहा था। इस फैसले से राज्य के हजारों कर्मचारी प्रभावित होंगे।
राजस्थान हाई कोर्ट के जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है। संतोष कुमार एवं अन्य लोगों द्वारा दायर की याचिकाओं में कहा गया था कि सरकार 16 मार्च 2023 की अधिसूचना से उन कर्मचारियों को बैक डेट से पदोन्नति दे रही है, जिनके दो से ज्यादा बच्चे होने के कारण 5 साल या 3 साल के लिए प्रमोशन रोके गए थे।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि इन कर्मचारियों को बैक डेट से प्रमोशन देने के कारण उनकी वरिष्ठता सूची में बदलाव आ गया है। वे वरिष्ठता सूची में नीचे चले गए हैं। इसके कारण उनकी पदोन्नति प्रभावित हो रही है। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद राज्य सरकार की अधिसूचना पर अंतरिम रोक लगा दी है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने अदालत में तर्क दिया कि साल 2001 में राज्य सरकार ने नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके तहत 1 जून 2002 के बाद तीसरा बच्चा पैदा होने पर सरकारी कर्मचारियों को 5 साल के लिए प्रमोशन से वंचित करने का नियम लागू कर दिया था। साल 2017 में सरकार ने 5 साल की अवधि को घटाकर 3 साल कर दिया था।
इसके बाद कार्मिक विभाग ने 16 मार्च 2023 को अधिसूचना जारी किया था। इसमें कहा गया था कि ऐसे सभी कर्मचारी, जिनकी पदोन्नति दंड स्वरूप रोकी गई थी उन्हें उनकी पदोन्नति वर्ष से ही प्रमोशन का लाभ दिया जाए। ऐसे में राज्य सरकार के करीब 125 विभागों में रिव्यू डीपीसी के माध्यम से कर्मचारियों को प्रमोशन का लाभ दिया जा रहा था।
याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि राज्य सरकार ने सूचना जारी करके दो से अधिक बच्चों वाले कर्मचारियों को लेकर अयोग्य घोषित करके प्रमोशन से वंचित कर दिया था। ऐसे में अब उन्हीं कर्मचारियों को फिर से प्रमोशन के लिए योग्य नहीं माना जा सकता है। वह बैक डेट से प्रमोशन देना कानून सम्मत नहीं है। इसे बारां और झालावाड़ के पुलिसकर्मियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
राजस्थान सरकार के ‘टू चाइल्ड पॉलिसी’ को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। फरवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दो से ज्यादा बच्चे होने पर सरकारी नौकरी देने से मना करना भेदभावपूर्ण नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि नियम दो से ज्यादा जीवित बच्चे होने पर उम्मीदवारों को सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य घोषित करता है। बकौल कोर्ट, इस नियम का मकसद परिवार नियोजन को बढ़ावा देना है।
बता दें कि महाराष्ट्र में भी टू-चाइल्ड पॉलिसी को लेकर कई नियम लागू हैं। साल 2001 के सरकारी रिजॉल्यूशन में कहा गया है कि अगर किसी कर्मचारी के दो से ज्यादा बच्चे हैं और सेवा के दौरान उसकी मौत हो जाती है तो परिवार के किसी भी व्यक्ति को अनुकंपा पर नियुक्ति नहीं दी जाएगी। साल 2005 से लागू सिविल रूल्स में प्रावधान है कि दो से ज्यादा बच्चे होने पर सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य होंगे।