मुंबई के डब्बावाले का नाम शायद ही देश-विदेश का कोई कोना हो, जहां किसी ने इसका नाम न सुना हो। डब्बावाले रोजाना लंबा सफर तय कर मुंबई के ऑफिस, व घरों में लोगों को गर्म खाना पहुंचाते हैं। अब इनकी वर्ल्ड फेमस कहानी स्कूली कोर्सों का हिस्सा बनने जा रही हैं, जहां बच्चों को इनकी संघर्ष भरी कहानी के जरिए प्रेरणा दी जाएगी। केरल सरकार ने अहम फैसला लिया है कि 9वीं कक्षा के बच्चे अपनी अंग्रेजी किताब में मुंबई के डब्बावालों की सक्सेस स्टोरी पढ़ेंगे।
130 साल से भी अधिक पुराना बिजनेस
जानकारी शायह हैरानी हो, मुंबई में डब्बावालों का बिजनेस करीबन 130 साल से भी अधिक पुरानी है। केरल में कक्षा 9वीं के इंग्लिश बुक में The Saga of the Tiffin Carriers नाम के चैप्टर को शामिल किया जाएगा। इस चैप्टर को लिखने वाले राइटर का नाम ह्यूग और कोलीन गैंटजर हैं। केरल के स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (SCERT) ने 2024 सेशन के लिए अपने अपडेटेड सिलेबस में डब्बावालों की कहानी को शामिल किया है। इस पाठ में छात्रों को बताया जाएगा कि मुंबई में डब्बावालों की शुरुआत कैसे हुई?
2 लाख लोगों को पहुंचाते हैं रोज खाना
मुंबई डब्बावाला, मुंबईकर्स को घर व सरकारी व प्राइवेट ऑफिस में गर्मागर्म खाना पहुंचाते हैं। इनके डिलीवरी सिस्टम की देश ही नहीं विदेश में भी जमकर तारीफ होती है। अगर आप मुंबई गए हों, या रहते हों तो ये डब्बावाले आपको अपने साथ एक साथ कई डिब्बे लिए नजर आ ही जाएंगे। इनका एक मजबूत संगठन है, जो टिफिन पहुंचाने का काम करता है। इस संगठन में 5000 से अधिक लोग जुड़े हुए हैं। शहर में रोजाना यह संगठन 2 लाख लोगों को खाना पहुंचाते हैं।
IIT में लेक्चर देने जाते हैं मुंबई के डब्बावाले
मुंबई के डब्बावाले अब दुनिया भर में अपने काम और मेहनत के लिए मशहूर हो गए हैं. बिजनेस स्कूलों और शोधकर्ताओं ने इनके बिजनेस पर गौर किया है. इसके अलावा उनका जिक्र फिल्म, डॉक्यूमेंट्रीज़ और किताबों में भी है. 2019 में मुंबई के कलाकार अभिजीत किनी ने उनके काम पर एक कॉमिक बुक भी बनाई थी. डब्बावाले अब भारत और विदेशों में आईआईटी और आईआईएम जैसे बड़े संस्थानों में लेक्चर देने भी जाते हैं.
कैसे हुई थी शुरुआत?
कहा जाता है कि इसकी शुरुआत 1890 में महादु हावजी बचे (Mahadu Havji Bache) ने की थी। शुरुआत में यह काम सिर्फ 100 लोगों (ग्राहकों) तक ही सीमित था, पर समय के साथ धीरे-धीरे यह 2 लाख लोगों तक पहुंच गया। मुंबई में डब्बावालों को एक खास यूनिफॉर्म भी होता है, इन्हें आम तौर पर सफेद रंग का कुर्ता-पायजामा, सिर पर गांधी टोपी, गले में रुद्राक्ष की माला और पैरों में कोल्हापुरी चप्पल पहने देखा जा सकता है।
बता दें कि मुंबई डब्बावाले अब दुनियाभर में अपने काम की वजह से मशहूर हैं, बिजनेस स्कूलों में इनके बिजनेस के बारे में पढ़ाया जाता है। इसके अलावा डब्बावाले देश व विदेश के IIT व IIM जैसे बड़े संस्थानों में लेक्चर देने जाते हैं।