देवभूमि उत्तराखंड के सनातन क्षेत्र में 5 हजार से अधिक वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का ब्यौरा सामने आया है। जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने 5183 संपत्तियों पर अपना दावा किया है, इसके अलावा 205 संपत्तियों के मामले कोर्ट में विचाराधीन होने की भी बात कही जा रही है।
जानकारी के अनुसार, जब 2003 में उत्तराखंड वक्फ बोर्ड का गठन हुआ था तब 2078 संपत्तियों की जानकारी आई थी, इनमें से भी 450 फाइलें यूपी से उत्तराखंड नहीं पहुंची थी। ताजा जानकारी में दिलचस्प बात ये है कि वक्फ बोर्ड की सूची में मस्जिद से अधिक कब्रिस्तान की संख्या है। पहाड़ी जिलों में चमोली में 1, रुद्रप्रयाग में 1 टिहरी में 4, पौड़ी में 10, उत्तरकाशी में 1 बागेश्वर में 3, चंपावत में 6,अल्मोड़ा में 6 पिथौरागढ़ में 3 मस्जिदें और इनसे ज्यादा कब्रस्तान होने की जानकारी सामने आई है। नैनीताल जिले में48 मस्जिदें ,उधम सिंह नगर में 144,हरिद्वार जिले में 322,देहरादून जिले में 155 मस्जिदें है जो कि वक्फ बोर्ड में पंजीकृत बताई जा रही है।
सुदूर पहाड़ी जिलों में भी वक्फ बोर्ड की औकाफ (दान में दी गई ) संपत्तियों की जानकारी सामने आ रही है। जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड में 2105 औकाफ़ संपत्तियां हैं, जिनमें अल्मोड़ा जिले में 46 पिथौरागढ़ जिले में 11 पौड़ी में 26 सबसे अधिक हरिद्वार में 865 उधम सिंह नगर में 499 देहरादून में 435 संपत्तियों पर वक्फ बोर्ड का अपना दावा है। पूरे देवभूमि उत्तराखंड में 773 स्थानों पर कब्रिस्तान बना दिए गए हैं, जबकि 704 मस्जिदों को वक्फ बोर्ड के अधीन बताया गया है। उत्तराखंड में वक्फ बोर्ड की सूची से बाहर अभी इतनी ही और मस्जिदों के और होने की सूचनाएं है।
वक्फ बोर्ड में 100 मदरसे होने की सूचना सामने लाई जा रही है, जबकि मदरसा बोर्ड में सूची में चार सौ से ज्यादा मदरसे दर्ज है। राज्य के भीतर 201 से अधिक मजारें वक्फ बोर्ड में सूची बद्ध होने की जानकारी सामने लाई गई है। बताया जाता है कि यहां अब नमाज भी पढ़ाई जा रही है। वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में पूरे राज्य में 12 स्कूल और इतने ही मुसाफिरखाने है, सूची में 1024 मकान और 1711 दुकानें भी है। 70 ईद गाह, 32 इम्मामबाड़े, 112 कृषि भूमि प्लाट और अन्य 253 संपत्तियां है।
ऐसा भी माना जा रहा है कि वक्फ बोर्ड की कई संपत्तियों पर प्रभावशाली और भू माफिया तत्वों के कब्जे है। ऐसी खबरे भी हैं कि उत्तराखंड वक्फ बोर्ड की स्थापना 2003 में हुई थी, तब वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की संख्या 2078 के आसपास बताई गई थी, इनमे से 450 संपत्तियों की फाइलें यूपी से अभी तक उत्तराखंड वक्फ बोर्ड को नहीं दी गई है और ये विषय, एक विवाद के रूप में केंद्रीय सरकार तक पहुंचा हुआ है। ऐसा माना जा रहा है कि देवभूमि उत्तराखंड में पिछले 20 सालों में वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की संख्या दो गुना से अधिक हो गई है।
पिछले दिनों उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स, संपत्तियों की नई सूची लेकर केंद्र सरकार के पास गए थे, इसी सूची पर केंद्रीय अल्प संख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजु के साथ उनकी चर्चा हुई थी। बहरहाल देवभूमि उत्तराखंड में वक्फ संपत्तियों का तेजी से बढ़ना भी चिंता का विषय है, राज्य में डेमोग्राफी चेंज को लेकर बहस छिड़ी हुई है और वक्फ संपत्तियों के बढ़ रहे आंकड़े भी इसी और संकेत देते हैं।