केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह का राष्ट्रीय राज्य सहकारी बैंक महासंघ (नेफ्सकॉब) के हीरक जयंती समारोह में दिया गया बयान सहकारी बैंकिंग और प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) को सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है। उनके भाषण के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
- पैक्स को मजबूत बनाने पर जोर:
अमित शाह ने पैक्स को अधिक व्यवहार्य, पारदर्शी और आधुनिक बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। सरकार पैक्स के माध्यम से किसानों के लिए दीर्घावधि वित्तपोषण की योजना बना रही है, जो कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाएगा। - सहकारिता की भावना को पुनर्जीवित करना:
उन्होंने सहकारी संस्थाओं में सहकारिता की भावना के कमजोर होने पर चिंता व्यक्त की और कहा कि सच्ची सहकारिता का उद्देश्य सामूहिक समृद्धि और लाभ साझा करना है। सहकारिता को एक मजबूत आर्थिक और सामाजिक मॉडल के रूप में विकसित करने की जरूरत है। - सहकारी संस्थाओं की सक्रियता:
देश में 1.05 लाख पैक्स में से केवल 65,000 ही सक्रिय हैं। यह स्थिति सुधार की मांग करती है। शाह ने इन संस्थाओं को प्रभावी और उत्पादक बनाने के लिए नेफ्सकॉब को ठोस कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। - नेफ्सकॉब की भूमिका:
शाह ने कहा कि नेफ्सकॉब की भूमिका केवल बैठकें आयोजित करने या आरबीआई और सरकार के साथ संवाद करने तक सीमित नहीं होनी चाहिए। इसकी जिम्मेदारी है कि वह सहकारी संस्थाओं को व्यवस्थित, पारदर्शी और भविष्य के लिए तैयार बनाए।
उन्होंने नैफस्कॉब से तकनीकी उन्नयन करने, युवाओं को जोड़ने और कम लागत वाली जमाराशियों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने को कहा. शाह ने कहा कि सरकार का लक्ष्य आने वाले वर्षों में जिला सहकारी बैंकों की संख्या को मौजूदा 300 से 50 प्रतिशत तक बढ़ाना है.
मंत्री ने नैफस्कॉब से पैक्स को नई प्रौद्योगिकियों के अनुकूल बनाने में मदद करने के लिए कार्यशालाएं आयोजित करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक और गुजरात राज्य सहकारी बैंक जैसे सफल मॉडल का अध्ययन करना चाहिए.
इस समय जिला सहकारी बैंकों के पास 4.31 लाख करोड़ रुपये की जमाराशि है, जबकि राज्य सहकारी बैंकों के पास 2.42 लाख करोड़ रुपये हैं. यह क्षेत्र लगभग 4,281 करोड़ रुपये का संयुक्त लाभ कमाता है.
शाह ने सुधार के लिए मानक के रूप में अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक और गुजरात राज्य सहकारी बैंक जैसे सफल मॉडल का अध्ययन करने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि सहकारी क्षेत्र को संरचनात्मक और कानूनी चुनौतियों के प्रति संतुलित दृष्टिकोण बनाए रखते हुए आगे बढ़ना चाहिए.
शाह ने कहा कि राज्य और जिला सहकारी बैंकों को नाबार्ड के साथ जोड़ने के लिए आठ भाषाओं में एक सामान्य सॉफ्टवेयर पहले ही काम करने लगा है, जो तकनीकी बदलाव के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का संकेत देता है.
नीति और दृष्टिकोण:
अमित शाह के अनुसार, सहकारी संस्थाओं को एक ऐसे प्लेटफॉर्म के रूप में विकसित किया जाना चाहिए, जो न केवल वित्तीय सहायता प्रदान करें बल्कि ग्रामीण भारत की आर्थिक रीढ़ को मजबूत करें। दीर्घावधि वित्तपोषण की पहल से कृषि क्षेत्र में नए अवसर पैदा होंगे और किसानों को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी।
यह कदम सरकार की सहकार से समृद्धि की दृष्टि के अनुरूप है और देश के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए सहकारी मॉडल को मजबूत करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।