बांग्लादेश में हिन्दू संगठन ISKCON (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस) को लेकर सरकार और न्यायालयों के रुख ने गंभीर चिंता पैदा कर दी है। बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने हाई कोर्ट में ISKCON को ‘कट्टरपंथी’ संगठन बताते हुए इसे बैन करने की कार्रवाई चलाने की बात कही है। यह घटनाक्रम ISKCON के एक संत, चिन्मय कृष्ण दास, की गिरफ्तारी और उन्हें जमानत देने से इनकार किए जाने के बाद उभरकर सामने आया है।
मामला क्या है?
- संत की गिरफ्तारी:
- ISKCON के संत चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवंबर, 2024 को बांग्लादेश की सुरक्षा एजेंसियों ने गिरफ्तार किया।
- उन पर देशद्रोह और बांग्लादेशी झंडे के अपमान का आरोप लगाया गया है।
- 26 नवंबर को अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए मामले की गंभीरता पर जोर दिया।
- वकील की याचिका:
- एक मुस्लिम वकील ने बांग्लादेश हाई कोर्ट में याचिका दायर कर ISKCON को ‘देशद्रोही’ बताते हुए इसे प्रतिबंधित करने की माँग की।
- याचिका में ISKCON के कथित गतिविधियों से जुड़े मीडिया रिपोर्ट्स को आधार बनाया गया।
- सरकार का पक्ष:
- बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल, मोहम्मद असदुज्ज्माँ, ने कोर्ट में ISKCON को ‘कट्टरपंथी’ संगठन बताते हुए कहा कि इसे बैन करने की प्रक्रिया चल रही है।
- उन्होंने यह भी कहा कि ISKCON की गतिविधियों की जाँच की जा रही है।
चिंताएं और प्रभाव
- धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रहार:
- ISKCON एक अंतरराष्ट्रीय धार्मिक संगठन है, जो श्रीकृष्ण भक्ति के प्रचार-प्रसार में संलग्न है। इसे ‘कट्टरपंथी’ करार देना बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं के अधिकारों पर सवाल खड़ा करता है।
- बांग्लादेश का संविधान धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है, लेकिन हालिया घटनाएँ इसकी साख पर सवाल उठा रही हैं।
- हिन्दू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा:
- ISKCON बांग्लादेश में हिन्दू समुदाय की एक प्रमुख संस्था है, और उस पर कार्रवाई से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और धार्मिक अधिकारों को लेकर आशंकाएं बढ़ेंगी।
- अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया:
- ISKCON का मुख्यालय भारत में है और इसका वैश्विक नेटवर्क है। इस पर प्रतिबंध लगाने का कदम बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचा सकता है।
- भारत में भी इस मामले को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया संभव है, क्योंकि यह हिन्दू धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है।
- पारस्परिक संबंधों पर असर:
- भारत और बांग्लादेश के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को यह घटनाक्रम प्रभावित कर सकता है।
- ISKCON पर कार्रवाई को भारत में बांग्लादेश के हिन्दू अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के रूप में देखा जा सकता है।
अगले कदम और संभावनाएँ
- अंतरराष्ट्रीय समर्थन:
- ISKCON की वैश्विक उपस्थिति इसे अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने में मदद कर सकती है।
- भारत सरकार इस मामले में कूटनीतिक हस्तक्षेप कर सकती है।
- बांग्लादेश में विरोध:
- हिन्दू संगठनों और नागरिक समाज द्वारा इस कदम के खिलाफ विरोध संभव है।
- यह मामला बांग्लादेश के न्यायिक प्रणाली की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़ा करता है।
- न्यायालय की भूमिका:
- बांग्लादेश हाई कोर्ट का अंतिम निर्णय इस मामले में महत्वपूर्ण होगा।
- न्यायपालिका पर सरकार के दबाव को लेकर भी सवाल उठ सकते हैं।
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद चटगाँव कोर्ट परिसर में हंगामा हुआ। हिन्दुओं ने यहाँ प्रदर्शन किया और चिन्मय कृष्ण दास को छोड़ने की माँग की। इन हिन्दुओं पर बांग्लादेश की पुलिस और इस्लामी कट्टरपंथियों ने ईंट और पत्थर बरसाए और लाठियाँ चलाई। इस दौरान गोली चलाने की बात भी सामने आई।
प्रदर्शन के दौरान हुए हमले में एक सरकारी वकील की मौत हो गई। बांग्लादेश की पुलिस ने इस हत्या का दोष पीड़ित हिन्दुओं पर ही मढ़ दिया है। हालाँकि, बांग्लादेश की सम्मिलित हिन्दू जागरण जोत समिति ने स्पष्ट किया है कि हिन्दू इस घटना में शामिल नहीं थे बल्कि दूसरी तरफ मस्जिद से हमला हुआ था।
वकील की हत्या के मामले में पुलिस ने बुधवार (27 नवम्बर, 2024) को 33 लोगों को हिरासत में लिया है। इनमें से 6 को गिरफ्तार भी कर लिया गया है। इनकी पहचान घटनास्थल के CCTV कैमरे से की गई है। यह नहीं स्पष्ट है कि यह लोग कौन है।