उत्तर प्रदेश के संभल जिले में रविवार (24 नवंबर 2024) को मुस्लिम भीड़ के उपद्रव के बाद हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं। पुलिस टीमें पत्थरबाजों की पहचान करके उनकी धरपकड़ में जुटी हुई हैं। इस हिंसा में मुस्लिम समुदाय के पुरुषों के अलावा महिलाएँ भी शामिल रहीं। इस घटना के बाद वायरल हो रहे वीडियो में एक मुस्लिम महिला पत्थरबाजी की घटना को बेहद मामूली बात बता रही है।
सोशल मीडिया के X प्लेटफॉर्म पर यूजर @politicscharcha ने बुधवार (27 नवंबर) को एक वीडियो शेयर किया है। 12 सेकेंड के इस वीडियो में एक पत्रकार मुस्लिम महिला से बात कर रही है। पत्रकार ने हिंसा में पुलिस वालों को लगी चोट का जिक्र किया। जवाब में मुस्लिम महिला ने इन चोटों से कोई सहानभूति नहीं दिखाई और कहा, “चोट है वो, वो सही हो जाएँगे। जिसका गया वो तो गया दुनिया से। वो तो वापस न आएगा।”
“पथराव ही तो कर रहे थे, कोई तुम्हे जान से थोड़ी मार रहे थे”
-मुस्लिम महिला pic.twitter.com/Rwjf7eiryN
— Politics Pe Charcha (@politicscharcha) November 27, 2024
इसके बाद बुर्का वाली महिला के तेवर और सख्त हो गए। पत्रकार ने पूछा कि जो मरे हैं, वो पत्थर क्यों चला रहे थे? इस सवाल पर मुस्लिम महिला ने कहा, “पथराव ही तो कर रहे थे। कोई तुम्हें जान से थोड़ी मार रहे थे।” इतना कह कर खातून आगे बढ़ने लगी।
इस वीडियो में महिला पत्रकार संभल के हिंसाग्रस्त इलाकों से अपनी रिपोर्टिंग की शुरुआत करती है। वीडियो में गलियों में पत्थरबाजी के निशान मौजूद दिख रहे हैं। कुछ पत्थरों को सड़क के किनारे कर दिया गया है। कई गाड़ियों को भी तोड़ डाला गया था, जो अभी वहाँ खड़ी दिख रही है। रास्ते में वारसी हाउस पड़ा। घर के आगे 2 लोग बैठे दिखे, जो मीडिया के खिलाफ बातें कर रहे थे।
वारसी हाउस पर एक युवा व दूसरा बुजुर्ग मौजूद था। इन्होंने मीडिया पर जहर उगलने का आरोप लगाया और कुर्सी उठा कर अंदर चले गए। बाद में युवा बाहर निकला। उसने जुल्म की इंतहा होने और सबको परेशानी में डालने जैसी बातें की। गलियाँ सूनी दिखीं और एक अन्य राहगीर ने भी मीडिया से बात नहीं की। कुछ ही देर बाद एक बुर्का पहने महिला जाती दिखी। उसने खुद को घटना की चश्मदीद बताया।
महिला द्वारा कबूल किया गया कि ईंट-पत्थर पहले से जमा थे, यह संकेत देता है कि किसी हद तक तैयारी पहले से की गई थी, या मौके का लाभ उठाया गया। वहीं, इस पर नाराजगी जताना कि प्रशासन ने ईंट-पत्थर हटा दिए, एक और संकेत है कि स्थानीय स्तर पर तनाव बढ़ने के पीछे योजना भी हो सकती है।
साथ ही, “मस्जिद के सर्वे” की बात सुनकर तुरंत भीड़ इकट्ठा हो जाना यह दर्शाता है कि यह मुद्दा कितना संवेदनशील था और स्थानीय समुदाय में इस पर कितनी तेजी से प्रतिक्रिया हुई।
पुलिस बल की तैनाती यह बताती है कि प्रशासन स्थिति को नियंत्रण में लाने की कोशिश में है। हालांकि, दोनों पक्षों से मिली जानकारी को संतुलित दृष्टिकोण से देखना ज़रूरी है ताकि पूरी तस्वीर साफ हो सके।
यह मामला न केवल कानून-व्यवस्था का प्रश्न है, बल्कि स्थानीय सामाजिक और सांप्रदायिक संतुलन को लेकर भी कई सवाल खड़े करता है।