रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना की है, जिन्होंने महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए महत्वपूर्ण नेतृत्व प्रदान किया। यह आयोजन दुनिया में सबसे बड़े धार्मिक समारोहों में से एक है, जिसमें लाखों श्रद्धालु एकजुट होते हैं, और राजनाथ सिंह ने इसे भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण प्रतीक माना।
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती ।
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु।
आज तीर्थराज प्रयागराज में, भारत की शाश्वत आध्यात्मिक विरासत और लोक आस्था के प्रतीक महाकुंभ में स्नान-ध्यान करके स्वयं को कृतार्थ अनुभव कर रहा हूँ। pic.twitter.com/ZoELPQCcRC
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) January 18, 2025
प्रमुख बिंदु:
- महाकुंभ का ऐतिहासिक महत्व:
- राजनाथ सिंह ने कहा कि महाकुंभ दुनिया में सबसे विशाल श्रद्धालु जुटान का एक उदाहरण है, और इसके आयोजन में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की सराहना की। महाकुंभ में लाखों लोग एकजुट होकर गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर स्नान करते हैं, जो भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है।
- प्रधानमंत्री का संदेश:
- रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश “महाकुंभ का यह संदेश, एक रहेगा यह देश” को दोहराया। यह संदेश भारत की एकता और सामाजिक सद्भाव को दर्शाता है, जो महाकुंभ जैसे आयोजनों के माध्यम से मजबूत होता है।
- राजनाथ सिंह का संगम स्नान:
- राजनाथ सिंह ने प्रयागराज में त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई और वहां पूजा-अर्चना की। उन्होंने इसे अपनी किस्मत का सौभाग्य बताया और कहा कि यह पर्व भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की आध्यात्मिक अनुभूति का पर्व है।
- शानदार जनसमूह:
- महाकुंभ के छठे दिन, 10 बजे तक 19.8 लाख से अधिक श्रद्धालु महाकुंभ मेले में पहुंचे, जिनमें से 10 लाख कल्पवासी और 9.84 लाख तीर्थयात्रियों ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई। यह संख्या महाकुंभ के विशाल स्तर को दर्शाती है।
- आध्यात्मिक ऊर्जा और विदेशी भक्तों की भागीदारी:
- महाकुंभ में केवल भारतीय ही नहीं, बल्कि विदेशी भक्त भी शामिल हो रहे हैं, जिन्होंने भजन गाकर भक्ति और श्रद्धा के माहौल में भाग लिया। इस आयोजन ने न केवल देशवासियों, बल्कि विश्वभर के लोगों को एकजुट किया है।
प्रयागराज के महाकुंभ में आकर और संगम में स्नान करके मैं स्वयं को बहुत ही कृतार्थ महसूस कर रहा हूं। मैं मानता हूं कि भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म की आध्यात्मिक अनुभूति का यह पर्व है, जो प्राचीन वैदिक खगोलीय गणना पर आधारित है।
यहाँ सभी जाति-पंथ और अनेक देशों के लोग भी एकात्मता… pic.twitter.com/9PS8DV8xz8
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) January 18, 2025
इस आयोजन से भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को पुनः प्रदर्शित किया गया है और यह संदेश दिया गया है कि महाकुंभ की तरह बड़े धार्मिक आयोजन न केवल आध्यात्मिक समृद्धि को बढ़ाते हैं, बल्कि सामाजिक समरसता को भी बढ़ावा देते हैं।