उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने की तैयारियाँ अपने अंतिम चरण में हैं, और इस मुद्दे पर राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक विवाद गहराते जा रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में सरकार ने UCC लागू करने के लिए सभी औपचारिकताएँ पूरी कर ली हैं। यह कदम राज्य के विकास और प्रशासनिक सुधारों के एजेंडे में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
UCC के कार्यान्वयन की तैयारियाँ:
- मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट किया है कि UCC को लागू करने के लिए सभी प्रशिक्षण और प्रक्रियात्मक कार्य पूरे हो चुके हैं।
- कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है, और जल्द ही इसकी औपचारिक घोषणा की संभावना है।
- चर्चा है कि इसे 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस के अवसर पर लागू किया जा सकता है, जो एक प्रतीकात्मक तिथि भी हो सकती है।
मुस्लिम संगठनों का विरोध:
- प्रमुख मुस्लिम संगठनों जैसे जमीयत उलेमा-ए-हिंद और मुस्लिम सेवा संगठन ने UCC के खिलाफ कानूनी लड़ाई की तैयारी कर ली है।
- देहरादून में हुई बैठक में इन संगठनों ने कहा कि UCC को लागू करना संविधान की भावना और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है।
- उनके मुख्य तर्क हैं:
- आदिवासियों को UCC से बाहर रखना: यह कदम पक्षपातपूर्ण माना जा रहा है।
- धार्मिक स्वतंत्रता का हनन: उनका मानना है कि UCC धर्मनिरपेक्षता और विविधता के खिलाफ है।
विवादित बयान और राजनीतिक माहौल:
- काशीपुर में कांग्रेस नेता मुशर्रफ हुसैन का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें उन्होंने 26 जनवरी का जिक्र करते हुए समुदाय को ‘खामोश’ रहने और बाद में ‘बदला लेने’ की बात कही।
- यह बयान राज्य में राजनीतिक और सामाजिक तनाव को बढ़ा रहा है।
- राज्य खुफिया विभाग इस मामले पर कड़ी नजर रखे हुए है, और सुरक्षा एजेंसियाँ सक्रिय हो गई हैं।
निकाय चुनाव और राष्ट्रीय खेलों का संदर्भ:
- 23 जनवरी को उत्तराखंड में निकाय चुनाव होने वाले हैं, जो राज्य में राजनीतिक स्थिति को और संवेदनशील बना रहे हैं।
- 28 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय खेलों का शुभारंभ करने देहरादून आएंगे।
- इन घटनाओं के बीच, UCC लागू करने का निर्णय सरकार के लिए बड़ा राजनीतिक और प्रशासनिक निर्णय साबित हो सकता है।
मुख्य बिंदु और चुनौतियाँ:
- राजनीतिक रणनीति:
- UCC को लागू करना बीजेपी के चुनावी वादों में से एक था। इस कदम से सरकार राज्य में अपनी विचारधारा को मजबूत करना चाहती है।
- सामाजिक तानाबाना:
- राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखना एक चुनौती है।
- कानूनी विवाद:
- UCC का विरोध करने वाले संगठनों द्वारा इसे कोर्ट में चुनौती दिए जाने की संभावना है।
संभावित परिणाम:
- सरकार:
UCC लागू करने से धामी सरकार को अपने समर्थकों के बीच मजबूती मिलेगी और यह राज्य के लिए ऐतिहासिक कदम माना जाएगा। - विपक्ष:
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ कदम बताकर सरकार को घेर सकते हैं। - सामाजिक स्थिति:
सामाजिक सौहार्द बनाए रखना और किसी भी संभावित विरोध को शांतिपूर्ण ढंग से संभालना सरकार की प्राथमिकता होगी।
उत्तराखंड में UCC को लागू करना एक साहसिक कदम है, लेकिन इसे लेकर सामाजिक और कानूनी चुनौतियाँ भी सामने हैं। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह निर्णय राज्य में विभाजन पैदा करने के बजाय समावेशिता को बढ़ावा दे।