केरल में नाबालिगों के खिलाफ बढ़ते यौन शोषण के मामलों और आत्महत्याओं की बढ़ती संख्या बेहद गंभीर चिंता का विषय बन गई है। 2016 से 2024 के बीच 31,171 POCSO (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस) के तहत मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 44 पीड़ितों ने दुष्कर्म के बाद आत्महत्या कर ली।
मुख्य बिंदु:
- POCSO मामलों में वृद्धि:
- 2016-2021: हर साल औसतन 3,000 मामले दर्ज हुए।
- 2022: यह संख्या बढ़कर 4,518 हो गई।
- 2023: 4,641 मामले, 2024: 4,594 मामले।
- 2025 (सिर्फ 17 दिनों में): 271 मामले दर्ज, 175 गिरफ्तारियाँ।
- बाल आयोग की चिंता:
- राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कहा कि पीड़ितों को उचित मानसिक स्वास्थ्य सहायता नहीं मिलने के कारण आत्महत्याएँ बढ़ रही हैं।
- सभी विभागों को निर्देश दिया गया है कि यौन शोषण पीड़ित बच्चों को काउंसलिंग और हर प्रकार की सहायता दी जाए।
- पठानमथिट्टा मामला:
- हाल ही में एक दलित लड़की ने 62 लोगों पर यौन शोषण का आरोप लगाया, जिसमें उसके रिश्तेदार, शिक्षक और दोस्त शामिल थे।
- इस घटना के बाद राज्य में अन्य मामलों पर भी चर्चा तेज हो गई, जिससे पता चला कि नाबालिगों पर बढ़ते यौन अपराध और आत्महत्याओं के आँकड़े बेहद चिंताजनक हैं।
सरकार और समाज की जिम्मेदारी:
- सख्त कानूनों के बावजूद अपराधों की संख्या बढ़ रही है, जो प्रशासनिक विफलता और सामाजिक जागरूकता की कमी को दर्शाता है।
- पीड़ितों को मनोवैज्ञानिक सहायता, त्वरित न्याय और पुनर्वास योजनाएँ उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
- परिवार और समाज को सतर्क रहकर बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।
केरल में इन भयावह आँकड़ों को देखते हुए राज्य सरकार को इस पर तुरंत कड़ी कार्रवाई करनी होगी, अन्यथा स्थिति और भयावह हो सकती है।