शेयर बाजार में लगातार जारी गिरावट निवेशकों के लिए चिंता का विषय बन गई है। प्रमुख कारणों में विदेशी पूंजी की निकासी, वैश्विक अनिश्चितता, और डॉलर की मजबूती शामिल है। सेंसेक्स और निफ्टी में तेज गिरावट के अलावा, मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों पर भी दबाव बना हुआ है।
गिरावट के प्रमुख कारण:
- विदेशी निवेशकों की बिकवाली: एफआईआई ने शुक्रवार को ₹4,294.69 करोड़ के शेयर बेचे, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ा।
- डॉलर की मजबूती: विदेशी बैंक और आयातक डॉलर की खरीदारी कर रहे हैं, जिससे रुपये में कमजोरी आई।
- वैश्विक अनिश्चितता: अमेरिकी बाजार का नकारात्मक रुख और एशियाई बाजारों में मिलाजुला प्रदर्शन भारतीय बाजार को प्रभावित कर रहा है।
- आईटी और धातु कंपनियों पर असर: टाटा स्टील, टीसीएस, इंफोसिस, और टेक महिंद्रा जैसी कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखी गई।
बाजार पर आगे का अनुमान:
- निफ्टी ने 23,800 के अहम सपोर्ट लेवल को तोड़ दिया है, जिससे आगे और गिरावट की संभावना बढ़ सकती है।
- अगर एफआईआई की बिकवाली जारी रहती है, तो बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है।
- निवेशकों को लंबी अवधि के नजरिए से मजबूत कंपनियों में निवेश करने की रणनीति अपनानी चाहिए।
रुपये पर असर:
- रुपया 86.76 प्रति डॉलर तक गिर गया, जिससे आयात महंगा हो सकता है।
- क्रूड ऑयल की कीमतों में हल्की बढ़त बनी हुई है, जो मुद्रास्फीति पर असर डाल सकती है।
क्या करें निवेशक?
- लॉन्ग टर्म निवेशक अच्छी कंपनियों के शेयरों में गिरावट का फायदा उठा सकते हैं।
- इंट्राडे ट्रेडर्स को बाजार की वोलैटिलिटी पर नजर रखनी चाहिए और स्टॉप-लॉस का उपयोग करना चाहिए।
- डॉलर की मजबूती को देखते हुए आईटी और फार्मा सेक्टर में अवसर मिल सकते हैं।