अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में होली मिलन समारोह की अनुमति पर विवाद
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) प्रशासन द्वारा हिंदू छात्रों के होली मिलन समारोह की अनुमति न देने के फैसले ने विवाद खड़ा कर दिया है। छात्रों ने इसे भेदभावपूर्ण बताते हुए सवाल उठाए हैं, खासकर जब विश्वविद्यालय परिसर में अन्य धार्मिक आयोजनों जैसे रोजा इफ्तार, मोहर्रम का जुलूस और चेहल्लुम को अनुमति मिलती रही है।
मामले के प्रमुख बिंदु:
- छात्रों का अनुरोध: 9 मार्च को होली मिलन समारोह आयोजित करने की अनुमति माँगी गई थी।
- प्रशासन का निर्णय: उच्च स्तरीय बैठक के बाद अनुमति देने से इनकार कर दिया गया।
- कारण: प्रशासन का कहना है कि नई परंपरा शुरू नहीं की जा सकती और होली पहले की तरह हॉस्टलों में ही मनाई जाए।
- छात्रों की आपत्ति:
- AMU में अन्य धार्मिक आयोजनों की अनुमति मिलती रही है, फिर होली पर रोक क्यों?
- पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद AMU को “मिनी इंडिया” कहा था, फिर यह भेदभाव क्यों?
प्रॉक्टर का बयान:
AMU के प्रॉक्टर प्रो. मोहम्मद वसीम अली ने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में पहले कभी इस तरह के आयोजनों की अनुमति नहीं दी गई है। प्रशासन के मुताबिक, कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया है।
प्रतिक्रिया और संभावित प्रभाव:
- भेदभाव का आरोप:
- हिंदू छात्र इसे धार्मिक भेदभाव के रूप में देख रहे हैं।
- इस फैसले से विश्वविद्यालय प्रशासन की तटस्थता पर सवाल उठ रहे हैं।
- राजनीतिक और कानूनी मुद्दा:
- यह मामला राजनीतिक रूप ले सकता है, और उच्च न्यायालय या मानवाधिकार आयोग में जाने की संभावना है।
- AMU पर पहले भी ऐसे आरोप लगते रहे हैं, जिससे यह मुद्दा और गंभीर हो सकता है।
- विश्वविद्यालय की छवि पर असर:
- AMU की “मिनी इंडिया” वाली छवि प्रभावित हो सकती है।
- यह विवाद छात्रों के बीच धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दे सकता है।
AMU प्रशासन ने नई परंपरा शुरू न करने और कानून-व्यवस्था का हवाला देकर होली मिलन समारोह को अनुमति देने से इनकार किया, लेकिन यह फैसला विवादों में घिर गया है। अगर परिसर में अन्य धार्मिक आयोजनों की अनुमति मिलती रही है, तो इस फैसले को समानता के सिद्धांत के खिलाफ माना जा सकता है। अब देखना होगा कि छात्र इसके खिलाफ क्या कदम उठाते हैं और क्या यह मामला आगे किसी कानूनी या राजनीतिक बहस का रूप लेता है।