भोपाल: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शनिवार को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जबरन धर्मांतरण कराने वालों को फांसी की सजा देने का प्रावधान करने जा रही है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव का सख्त रुख
✅ दुराचारियों और धर्मांतरण कराने वालों को मिलेगी फांसी
✅ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई
✅ अपराधियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने की प्रतिबद्धता
सीएम मोहन यादव का बयान:
“मासूम बेटियों के साथ दुराचार करने वालों को हमारी सरकार किसी भी हालत में नहीं छोड़ेगी। ऐसे अपराधियों को जीवन जीने का कोई अधिकार नहीं होना चाहिए। जबरन धर्मांतरण कराने वालों को भी फांसी की सजा देने का प्रबंध किया जा रहा है।”
उन्होंने आगे कहा कि मध्य प्रदेश सरकार समाज में व्याप्त कुरीतियों और जबरन धर्मांतरण जैसी गतिविधियों को कतई बर्दाश्त नहीं करेगी।
कांग्रेस का विरोध:
🔹 कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने मुख्यमंत्री के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी।
🔹 मसूद ने कहा, “अगर ऐसा कोई कानून बनाना है तो पहले बाबा साहेब के संविधान को बदलना होगा। भाजपा पहले मिशनरियों को निशाना बना रही थी, फिर आदिवासियों को और अब अल्पसंख्यकों को टारगेट कर रही है।”
🔹 उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार युवाओं को रोजगार देने में असफल रही है और इस तरह के बयानों से जनता को गुमराह कर रही है।
क्या है धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम?
मध्य प्रदेश में पहले से ही ‘मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2021’ लागू है, जिसके तहत जबरन धर्मांतरण पर 10 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। अब मुख्यमंत्री ने इसे और सख्त बनाते हुए फांसी की सजा का प्रावधान करने की बात कही है।
भाजपा सरकार का सख्त रुख:
🔸 2021 में शिवराज सरकार ने जबरन धर्मांतरण पर कानून लाया था।
🔸 अब मुख्यमंत्री मोहन यादव इसे और कठोर बनाने की तैयारी में हैं।
🔸 ‘लव जिहाद’ और जबरन धर्मांतरण के मामलों में कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
राजनीतिक असर:
✅ भाजपा हिंदू वोटबैंक को मजबूत करने की कोशिश कर रही है।
✅ कांग्रेस सरकार पर अल्पसंख्यकों के खिलाफ एजेंडा चलाने का आरोप लगा रही है।
✅ आगामी चुनावों में यह मुद्दा बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है।
फिलहाल मुख्यमंत्री के बयान से साफ है कि सरकार इस दिशा में सख्त कानून बनाने पर विचार कर रही है। यदि इसे विधानसभा में पारित किया जाता है, तो यह देश का सबसे कड़ा धर्मांतरण विरोधी कानून बन सकता है।