श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया गया. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर जानकारी दी है, जिस पर पीएम मोदी ने बधाई दी. उन्होंने कहा कि दुनिया भर में हर भारतीय के लिए यह गर्व का क्षण है.
A proud moment for every Indian across the world!
The inclusion of the Gita and Natyashastra in UNESCO’s Memory of the World Register is a global recognition of our timeless wisdom and rich culture.
The Gita and Natyashastra have nurtured civilisation, and consciousness for… https://t.co/ZPutb5heUT
— Narendra Modi (@narendramodi) April 18, 2025
पीएम मोदी ने गजेंद्र सिंह शेखावत की पोस्ट पर कमेंट करते हुए लिखा कि दुनिया भर में हर भारतीय के लिए यह गर्व का क्षण है. यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में गीता और नाट्यशास्त्र को शामिल किया जाना हमारी शाश्वत बुद्धिमत्ता और समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता है.
उन्होंने आगे लिखा कि गीता और नाट्यशास्त्र ने सदियों से सभ्यता और चेतना का पोषण किया है. उनकी अंतर्दृष्टि दुनिया को प्रेरित करती रहती है.
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने दी जानकारी
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए लिखा कि भारत की सभ्यतागत विरासत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है. श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को अब यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में अंकित किया गया है. यह वैश्विक सम्मान भारत के शाश्वत ज्ञान और कलात्मक प्रतिभा का जश्न मनाता है. ये कालातीत रचनाएँ साहित्यिक खजाने से कहीं अधिक हैं – वे दार्शनिक और सौंदर्यवादी आधार हैं, जिन्होंने भारत के विश्व दृष्टिकोण और हमारे सोचने, महसूस करने, जीने और अभिव्यक्त करने के तरीके को आकार दिया है.
A historic moment for Bharat’s civilisational heritage!
The Shrimad Bhagavad Gita & Bharat Muni’s Natyashastra are now inscribed in UNESCO’s Memory of the World Register.
This global honour celebrates India’s eternal wisdom & artistic genius.
These timeless works are more than… pic.twitter.com/Zeaio8OXEB
— Gajendra Singh Shekhawat (@gssjodhpur) April 18, 2025
उन्होंने आगे लिखा कि इसके साथ ही, अब हमारे देश के 14 अभिलेख इस अंतर्राष्ट्रीय रजिस्टर में शामिल हो गए हैं.
यूनेस्को के “Memory of the World” (MoW) रजिस्टर का सार है। इसे थोड़ा विस्तार से समझते हैं:
यूनेस्को “मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड” रजिस्टर क्या है?
“Memory of the World” (MoW) रजिस्टर, यूनेस्को (UNESCO) द्वारा 1992 में शुरू किया गया एक वैश्विक कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य है:
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🌐 विश्व की महत्वपूर्ण दस्तावेजी विरासत को पहचानना, संरक्षित करना और साझा करना।
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📚 इसमें दस्तावेज़, पांडुलिपियाँ, ऑडियो-विज़ुअल सामग्री, ग्रंथ, चित्र, अभिलेख (archives) आदि शामिल होते हैं जो मानव इतिहास, संस्कृति, ज्ञान और पहचान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं।
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🔒 इस रजिस्टर में शामिल विरासत को संरक्षण (Preservation) के साथ-साथ डिजिटलीकरण (Digitization) और सार्वजनिक पहुंच (Public Access) के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है।
रजिस्टर में क्या शामिल किया जाता है?
रजिस्टर में वो दस्तावेज़ शामिल किए जाते हैं जो:
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ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण हों
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दुर्लभ या लुप्तप्राय हों
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किसी समाज, संस्कृति, या घटना के मूल दस्तावेजी प्रमाण हों
भारत से जुड़ी कुछ प्रमुख विरासतें जो इसमें शामिल हैं:
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ऋग्वेद (पांडुलिपि रूप में) – प्राचीनतम संस्कृत ग्रंथ
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ताजमहल निर्माण से संबंधित ऐतिहासिक अभिलेख
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12वीं सदी की ‘वेल्लोर नक्कल’ पांडुलिपियाँ
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त्रिपिटक (बौद्ध ग्रंथों का संग्रह) — श्रीलंका और भारत के बौद्ध साहित्य से संबंधित
इसका महत्व क्यों है?
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🌍 वैश्विक पहचान: किसी दस्तावेज़ या विरासत को MoW में शामिल करना उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाता है।
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🛡️ संरक्षण के लिए सहयोग: इससे उस दस्तावेज़ को सुरक्षित रखने के लिए तकनीकी व वित्तीय मदद भी मिल सकती है।
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📖 शिक्षा और शोध के लिए सुलभ: आम लोग, विद्यार्थी और शोधकर्ता इन ऐतिहासिक दस्तावेज़ों से जुड़ सकते हैं।