22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से हाई अलर्ट पर है। यह हमला केवल एक आतंकी वारदात नहीं, बल्कि एक सुनियोजित नरसंहार था, जिसकी गूंज देशभर में और कूटनीतिक स्तर पर भी महसूस की जा रही है। अब इस हमले के बाद जो सुरक्षा और खुफिया उपाय किए गए हैं, वे संकेत देते हैं कि आतंकी संगठन आने वाले दिनों में और बड़े हमलों की योजना बना सकते हैं।
पहलगाम हमले के बाद का सुरक्षा परिदृश्य: एक विश्लेषण
📍 जेलों को लेकर हाई अलर्ट क्यों?
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श्रीनगर की सेंट्रल जेल और जम्मू की कोट बलवाल जेल आतंकियों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं।
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इन जेलों में कई सक्रिय आतंकी संगठन के सदस्य और स्लीपर सेल के एजेंट बंद हैं।
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खुफिया एजेंसियों ने आशंका जताई है कि आतंकवादी इन जेलों पर हमला कर अपने साथियों को छुड़ाने या सुरक्षा बलों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर सकते हैं।
🛡️ सुरक्षा व्यवस्था में सख्ती:
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CISF ने अक्टूबर 2023 में जम्मू-कश्मीर की जेलों की सुरक्षा की जिम्मेदारी CRPF से ली थी।
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4 मई को CISF के डीजी ने श्रीनगर में सुरक्षा अधिकारियों के साथ अहम बैठक कर स्थिति की समीक्षा की।
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जेल परिसरों के चारों ओर निगरानी बढ़ाई गई है, अतिरिक्त बलों की तैनाती और इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस को तेज किया गया है।
पहलगाम हमले की जाँच: एनआईए की जांच से खुलासे
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एनआईए ने दो संदिग्ध – निसार और मुश्ताक से पूछताछ की, जो पहले भी सैन्य वाहनों पर हमलों से जुड़े रहे हैं।
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हमले की रणनीति स्पष्ट रूप से सैन्य शैली में रची गई थी – फ्रंटलाइन हमलावरों के साथ साथ बैकअप में कवर फायर देने वाला ग्रुप भी मौजूद था।
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आतंकियों के पास खाद्य सामग्री और जरूरी संसाधन थे, जिससे संकेत मिलता है कि वे दक्षिण कश्मीर के घने जंगलों में लंबे समय तक छिपे रहने की तैयारी में हैं।
संभावित रणनीतिक उद्देश्य:
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हिंदू पर्यटकों पर हमला कर धार्मिक और सामाजिक माहौल बिगाड़ना।
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जेलों पर हमला कर अपने सहयोगियों को छुड़ाना या सुरक्षाबलों को विभाजित करना।
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अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को अस्थिर दिखाने की कोशिश करना।
आगे की रणनीति के लिए संकेत:
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दक्षिण कश्मीर में कॉम्बिंग ऑपरेशन बढ़ाए जा रहे हैं।
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LoC और IB पर भी अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है, क्योंकि आतंकी घुसपैठ बढ़ने की संभावना है।
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एनआईए, आईबी, रॉ, और सैन्य खुफिया एजेंसियों के बीच तालमेल बढ़ाया गया है।