राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत के दो महान साहित्यकारों—जगद्गुरु रामभद्राचार्य और गुलज़ार—को 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया।
वर्ष 1965 से, विभिन्न भारतीय भाषाओं के उत्कृष्ट साहित्यकारों को पुरस्कृत करके, ‘भारतीय ज्ञानपीठ’ ने, साहित्य-सेवा के माध्यम से देश की सेवा की है। pic.twitter.com/acT5D1U9Se
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58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार 2023: प्रमुख बिंदु
पुरस्कार प्राप्तकर्ता:
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जगद्गुरु रामभद्राचार्य
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भाषा: संस्कृत
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उपलब्धियाँ:
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240+ ग्रंथों और पुस्तकों के लेखक
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तुलसी पीठ, चित्रकूट के संस्थापक
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चार महाकाव्य रचनाएँ
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पाणिनि की अष्टाध्यायी, ब्रह्मसूत्र, गीता और उपनिषदों पर टीकाएँ
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साहित्य अकादमी पुरस्कार (2005), पद्म विभूषण (2015)
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गुलज़ार (संपूर्ण सिंह कालरा)
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भाषा: उर्दू / हिंदी
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उपलब्धियाँ:
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उर्दू शायरी में नई शैली की शुरुआत
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लोकप्रिय गीत: “मैंने तेरे लिए”, “दिल ढूंढता है”, “छैंया छैंया”
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पुस्तक: “रावी पार”
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7 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, 21 फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार
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President Droupadi Murmu conferred the 58th Jnanpith Award on Sanskrit scholar Jagadguru Rambhadracharya Ji in New Delhi. The President praised Shri Rambhadracharya Ji for his contribution in both the fields of literature and social service. pic.twitter.com/IgGGzsvWP6
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के विचार:
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रामभद्राचार्य:
“आप दृष्टिहीन होकर भी दिव्य दृष्टि से साहित्य और समाज की सेवा कर रहे हैं। संस्कृत के असाधारण उपासक हैं। आपने उत्कृष्टता के प्रेरक दृष्टांत प्रस्तुत किए हैं।”
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गुलजार:
“उन्होंने कठोरता के बीच कोमलता को स्थापित किया है। साहित्य सृजन में दशकों से निष्ठा बनाए रखी है। हम उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं।”
श्री रामभद्राचार्य जी ने श्रेष्ठता के प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। आप अनेक प्रतिभाओं से सम्पन्न हैं तथा आपके योगदान बहुआयामी हैं। आपने शारीरिक दृष्टि से बाधित होने के बावजूद अपनी अंतर्दृष्टि, बल्कि दिव्यदृष्टि से साहित्य और समाज की असाधारण सेवा की है। pic.twitter.com/XttRRGTFx1
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पुरस्कार स्वरूप मिला:
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प्रशस्ति पत्र
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वाग्देवी सरस्वती की कांस्य प्रतिमा
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नकद पुरस्कार
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित महिला रचनाकारों में आशापूर्णा देवी, अमृता प्रीतम, महादेवी वर्मा, कुर्रतुल-ऐन-हैदर, महाश्वेता देवी, इंदिरा गोस्वामी और कृष्णा सोबती जैसी असाधारण महिलाएं शामिल हैं। इन महिला रचनाकारों ने भारतीय परंपरा और समाज को विशेष संवेदना के साथ देखा है, अनुभव किया…
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अतिरिक्त जानकारी:
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रामभद्राचार्य ने पाँच वर्ष की आयु में भगवदगीता और सात वर्ष में रामचरितमानस का अध्ययन प्रारंभ कर दिया था।
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गुलजार समारोह में स्वास्थ्य कारणों से शामिल नहीं हो सके।
59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार 2024:
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विजेता: विनोद कुमार शुक्ल (हिंदी लेखक)