भारत सरकार द्वारा बांग्लादेशी और म्यांमार से अवैध रूप से भारत में घुसे घुसपैठियों के खिलाफ चलाए जा रहे सघन अभियान और नई सख्ती का संकेत देती है। नीचे इसका मुख्य सारांश और विश्लेषण प्रस्तुत है:
गृह मंत्रालय की नई नीति: घुसपैठियों पर सख्ती
मुख्य निर्देश:
- 30 दिन की डेडलाइन:
सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अब 30 दिनों के भीतर:- संदिग्ध विदेशियों की पहचान करें
- उनके दस्तावेजों का सत्यापन करें
- निर्वासन (Deportation) की प्रक्रिया शुरू करें
- डिटेंशन सेंटर अनिवार्य:
- हर जिले में पर्याप्त डिटेंशन सेंटर बनाए जाएं
- बायोमेट्रिक जानकारी (फिंगरप्रिंट, आईरिस स्कैन) संग्रह की जाएगी
- जब तक निर्वासन की प्रक्रिया पूरी नहीं होती, संदिग्ध प्रवासी इन्हीं केंद्रों में रहेंगे
- सीमा सुरक्षा:
- BSF और असम राइफल्स को सीमाओं पर निगरानी तेज करने के निर्देश
- अवैध प्रवेश पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी
- भारतीय नागरिकता का दावा:
- यदि कोई व्यक्ति भारतीय होने का दावा करता है, तो उसकी पहचान और पृष्ठभूमि की जांच राज्य सरकार की जिम्मेदारी होगी
हाल के बड़े एक्शन – राज्यवार आँकड़े:
राज्य / शहर | गिरफ्तार घुसपैठिए (2025) |
---|---|
राजस्थान | 1,000+ (30 अप्रैल से अब तक) |
गुजरात | 1,000+ |
हरियाणा (नूह, झज्जर, हांसी) | 237+ |
पश्चिम बंगाल (नदिया) | 300+ |
मुंबई | 650+ (1 जनवरी से अब तक) |
पृष्ठभूमि व नीति का उद्देश्य:
- भारत में अवैध प्रवासियों की संख्या में लगातार वृद्धि एक सुरक्षा, जनसांख्यिकी और संसाधन प्रबंधन से जुड़ी चुनौती बन चुकी है।
- बांग्लादेशी और रोहिंग्या (म्यांमार) नागरिकों पर विशेष नजर है, क्योंकि कई बार ये फर्जी पहचान पत्र बनवा कर देश के विभिन्न हिस्सों में बस जाते हैं।
- इन प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई का उद्देश्य:
- राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना
- वास्तविक नागरिकों को सरकारी लाभ सुनिश्चित करना
- आंतरिक कानून-व्यवस्था पर बोझ कम करना
विश्लेषण और आगे की संभावनाएँ:
- यह निर्देश उन राज्यों पर विशेष रूप से प्रभाव डालेगा जहाँ बांग्लादेश और म्यांमार की सीमा से निकटता है या जहां शहरी मजदूरी के कारण प्रवासी अधिक संख्या में बसे हैं (जैसे दिल्ली, मुंबई, पश्चिम बंगाल, असम)।
- NRC (National Register of Citizens) और CAA (Citizenship Amendment Act) जैसे कानूनों की पृष्ठभूमि में यह नीति एक प्रशासनिक क्रियान्वयन का हिस्सा मानी जा सकती है।