डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने दुनियाभर में अमेरिकी वाणिज्य दूतावासों को नया निर्देश जारी किया है.
क्या है नया आदेश?
- F (छात्र), M (व्यावसायिक), और J (एक्सचेंज विजिटर) वीजा इंटरव्यू की नई अपॉइंटमेंट्स पर तत्काल रोक।
- यह रोक तब तक जारी रहेगी जब तक कि सोशल मीडिया स्क्रीनिंग से संबंधित विस्तृत दिशानिर्देश नहीं आ जाते।
- यह आदेश अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो द्वारा हस्ताक्षरित दस्तावेज़ों में सामने आया है।
इस कदम के पीछे की मंशा क्या है?
- राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकता:
- अमेरिकी सरकार का उद्देश्य अमेरिका में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति की डिजिटल उपस्थिति की गहराई से जांच करना है।
- सोशल मीडिया पर हिंसक विचार, आतंकवादी सहानुभूति, यहूदी-विरोध जैसे विचारों की उपस्थिति को एक खतरे के रूप में देखा जा रहा है।
- इजरायल-गाजा संघर्ष की छाया:
- अमेरिकी कैंपसों में इजरायल विरोधी प्रदर्शनों में विदेशी छात्रों की भागीदारी ने सरकार को सतर्क किया है।
- यह निर्णय राजनीतिक प्रदर्शन और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन साधने का प्रयास हो सकता है।
- “अति उदार” कैंपसों पर सख्ती:
- हार्वर्ड जैसे विश्वविद्यालयों पर ट्रंप प्रशासन की नाराज़गी इसका संकेत देती है कि यह कदम राजनीतिक वैचारिक लड़ाई का हिस्सा भी हो सकता है।
संभावित वैश्विक प्रभाव:
- अंतरराष्ट्रीय छात्रों में चिंता:
- अमेरिका आने की तैयारी कर रहे छात्रों में भ्रम और भय की स्थिति।
- वीजा प्रक्रिया पहले से ही लंबी और जटिल है, सोशल मीडिया स्क्रीनिंग इसे और कठिन बना देगी।
- अमेरिकी विश्वविद्यालयों पर आर्थिक प्रभाव:
- 2023-24 में अमेरिका में 11 लाख से अधिक विदेशी छात्र, जिन्होंने $43.8 अरब डॉलर का आर्थिक योगदान दिया।
- वीजा में रुकावटों से छात्रों की संख्या घट सकती है, जिससे विश्वविद्यालयों की आमदनी और स्थानीय नौकरियों पर खतरा मंडरा सकता है।
- अमेरिका की वैश्विक शैक्षणिक स्थिति को खतरा:
- यदि छात्र अमेरिका की जगह कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूके जैसे विकल्पों की ओर मुड़ते हैं, तो अमेरिका की “ग्लोबल एजुकेशन हब” की छवि को गहरा झटका लग सकता है।
प्रवक्ता की सफाई:
- टैमी ब्रूस का बयान: “यह जांच प्रक्रिया राष्ट्रहित में है और सभी वीजा आवेदकों पर समान रूप से लागू होगी।”
- उनका कहना है कि “यह प्रक्रिया विवादास्पद नहीं है बल्कि आवश्यक है।”
विवाद और आलोचना:
- कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम वर्ग-विशेष या विचार-विशेष के विरुद्ध भेदभावपूर्ण हो सकता है।
- यह कदम शैक्षणिक स्वतंत्रता और वैचारिक विविधता पर अंकुश के रूप में देखा जा सकता है।
निष्कर्ष:
- यह निर्णय सुरक्षा चिंताओं के साथ-साथ राजनीतिक विचारधारा और शैक्षणिक संस्थानों के बीच चल रहे टकराव का परिणाम है।
- अमेरिका को यदि वैश्विक शिक्षा में अपनी भूमिका बनाए रखनी है, तो उसे संतुलन साधना होगा – सुरक्षा और शैक्षणिक खुलेपन के बीच।