उत्तर प्रदेश के बरेली और मुजफ्फरनगर जिलों में मदरसे के भीतर महिला शिक्षिका और नाबालिग छात्रा से बलात्कार की जो घटनाएँ सामने आई हैं, वे न केवल कानून व्यवस्था के लिए चुनौती हैं, बल्कि समाज में शैक्षिक संस्थानों में महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर सवाल उठाती हैं।
बरेली (मीरगंज) की घटना – मुख्य तथ्य:
- तारीख: 30 जून 2025 (जुमे का दिन)
- आरोपी: मदरसा संचालक जुबैर
- पीड़िता: महिला शिक्षक
- घटना: छुट्टी के बाद मदरसे बुलाकर रेप, बेसुध हालत में छोड़कर आरोपी फरार
- पुलिस कार्रवाई:
- 1 जून को जुबैर गिरफ्तार
- मेडिकल परीक्षण कराया गया
- पूछताछ जारी
मुजफ्फरनगर की घटना – मुख्य तथ्य:
- तारीख: 1 जून 2025
- आरोपी: मौलवी सद्दाम हुसैन
- पीड़िता: 15 वर्षीय नाबालिग छात्रा
- घटना: पढ़ाई के बहाने बुलाकर मदरसे में रेप
- पुलिस कार्रवाई:
- POCSO व BNS की धाराओं में केस दर्ज
- आरोपी गिरफ्तार (नई मंडी थाना)
कानूनी प्रावधान:
- POCSO अधिनियम के तहत नाबालिग से यौन अपराध पर कठोर सजा, जिसमें न्यूनतम 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।
- भारतीय न्याय संहिता (BNS) की नई धाराएँ भी सख्त प्रावधान करती हैं, विशेष रूप से शैक्षिक संस्थानों में अपराध करने पर।
- यदि दोष सिद्ध होता है, तो आरोपितों को कठोर सजा मिलेगी।
प्रशासन और समाज के लिए चिंताएँ:
- शिक्षण संस्थानों में सुरक्षा:
मदरसों या किसी भी शैक्षिक संस्था में यदि सुरक्षा व्यवस्था इतनी लचर हो कि संचालक ही अपराधी बन जाए, तो यह पूरे तंत्र पर सवाल उठाता है। - निगरानी तंत्र की कमी:
कई मदरसों में सरकारी रजिस्ट्रेशन, बायोमेट्रिक निगरानी, और CCTV निगरानी नहीं होती, जिससे ऐसी घटनाएँ आसानी से हो जाती हैं। - धार्मिक संस्थाओं में जवाबदेही:
धार्मिक संस्थाओं को कानून से ऊपर नहीं समझा जाना चाहिए। चाहे किसी भी धर्म का हो, अपराधी को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
सरकार और समाज से अपेक्षित कदम:
- सभी मदरसों, स्कूलों और धार्मिक शिक्षण संस्थाओं में CCTV अनिवार्य किया जाए।
- महिला शिक्षकों और छात्राओं की सुरक्षा के लिए स्थायी प्रोटोकॉल तैयार हो।
- अवैध या अनरजिस्टर्ड मदरसों की पहचान कर कार्रवाई की जाए।
- महिलाओं व बच्चों से जुड़े मामलों में त्वरित न्याय की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।