भारत की राजधानी नई दिल्ली में 5-6 जून 2025 को चौथी भारत-मध्य एशिया वार्ता का आयोजन हुआ, जो भारत की प्रभावशाली और बहुआयामी विदेश नीति का एक अहम प्रतिबिंब है। इस दो दिवसीय संवाद में कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने भाग लिया और भारत की ओर से विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने इसकी अध्यक्षता की। इस वार्ता का मुख्य उद्देश्य भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को गहराना, क्षेत्रीय सहयोग को सुदृढ़ करना और उभरती वैश्विक चुनौतियों का मिलकर समाधान निकालना रहा।
वार्ता में भारत ने आतंकवाद-विरोधी सहयोग, व्यापार और कनेक्टिविटी, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, विकास सहयोग और सुरक्षा जैसे अहम विषयों पर व्यापक चर्चा की। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने उद्घाटन भाषण में 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करने के लिए मध्य एशियाई देशों के समर्थन को सराहा और कहा कि भारत पूरे क्षेत्र में आतंकवाद और कट्टरपंथ के खिलाफ साझेदारी को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इसी दिन, यानी 6 जून को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विशेष रूप से भारत आए सभी पांचों मध्य एशियाई देशों के विदेश मंत्रियों से भेंट की। अपनी बातचीत में प्रधानमंत्री ने इस बात को रेखांकित किया कि मध्य एशियाई देशों के साथ भारत के संबंध हमेशा प्राथमिकता में रहे हैं। उन्होंने व्यापार, कनेक्टिविटी, फिनटेक, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा और रक्षा सहयोग जैसे प्रमुख क्षेत्रों में साझा प्रयासों को और अधिक सशक्त करने की इच्छा व्यक्त की। प्रधानमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत और मध्य एशिया की यह साझेदारी क्षेत्रीय और वैश्विक संकटों का समाधान निकालने में निर्णायक भूमिका निभा सकती है।
Delighted to meet with the Foreign Ministers of Kazakhstan, Kyrgyz Republic, Tajikistan, Turkmenistan and Uzbekistan. India deeply cherishes its historical ties with the countries of Central Asia. Look forward to working together to further deepen our cooperation in trade,… pic.twitter.com/UmzPnF3BI8
— Narendra Modi (@narendramodi) June 6, 2025
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर सभी मध्य एशियाई देशों के नेताओं को आगामी दूसरे भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन के लिए भारत आने का निमंत्रण भी दिया। सभी विदेशी प्रतिनिधियों ने इस वार्ता को सार्थक, उत्पादक और सकारात्मक बताया। उन्होंने भी पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की और भारत के साथ सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एकजुटता दिखाई।
भारत और मध्य एशिया के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध सदियों पुराने हैं, जो अब आधुनिक समय में रणनीतिक और आर्थिक सहयोग का रूप ले चुके हैं। भारत की उत्तर-दक्षिण अंतरराष्ट्रीय परिवहन गलियारा (INSTC) और चाबहार बंदरगाह जैसी परियोजनाएं क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ावा देने के लिए विशेष रूप से तैयार की गई हैं। भारत इन देशों के साथ रक्षा, साइबर सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी रणनीति और उच्च तकनीक सहयोग पर भी कार्य कर रहा है।
#WATCH | Delhi: During his meeting with UK Foreign Secretary David Lammy, EAM Dr S Jaishankar says, "We practice a policy of zero tolerance against terrorism and expect our partners to understand it."
"I thank the Government of the United Kingdom for the strong condemnation of… pic.twitter.com/iLOUgWOpd6
— ANI (@ANI) June 7, 2025
यह वार्ता ऐसे समय में हुई है जब चीन भी लगातार मध्य एशियाई देशों में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। इस दृष्टि से भारत की यह पहल सामरिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है। भारत का यह प्रयास न केवल क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग को प्रोत्साहित करता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि मध्य एशिया में भारत की भूमिका संतुलनकारी शक्ति के रूप में और अधिक सशक्त हो।
इस वार्ता ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि भारत सिर्फ अपने पड़ोसी क्षेत्रों में ही नहीं, बल्कि आसपास के भू-राजनीतिक क्षेत्रों में भी अपनी उपस्थिति और भूमिका को लेकर गंभीर और दूरदर्शी रणनीति के साथ आगे बढ़ रहा है। भविष्य में यह संवाद न केवल आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाएगा, बल्कि भारत-मध्य एशिया संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले जाने में भी अहम भूमिका निभाएगा।