जर्मनी के दौरे पर गए भारतीय सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के आतंकवादी नेटवर्क और उसकी भूमिका की कड़ी आलोचना करते हुए उसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेनकाब किया। इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने किया, जिन्होंने जर्मनी के संघीय विदेश मंत्री जोहान वाडेफुल से मुलाकात कर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और भारत की सख्त प्रतिक्रिया से जर्मन नेतृत्व को अवगत कराया।
भारत का सख्त संदेश, 🇩🇪 जर्मनी का समर्थन
इस मुलाकात के दौरान जर्मनी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ मजबूती से खड़ा है। वाडेफुल ने हाल ही में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ हुई चर्चा का हवाला देते हुए पहलगाम हमले की निंदा की और आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को अपना समर्थन दोहराया।
भारतीय दूतावास ने भी ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर बयान जारी कर कहा कि दोनों देशों ने रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने, और नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था व लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने की प्रतिबद्धता जताई।
पाकिस्तान के खिलाफ कड़े शब्द
रविशंकर प्रसाद ने जर्मन नेताओं के समक्ष पाकिस्तान की करतूतों का पूरा ब्यौरा देते हुए कहा:
“हमने आतंकवाद से लोकतंत्र, मानवता और मानवाधिकारों को होने वाले गंभीर खतरे को उजागर किया और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर गहरी चिंता व्यक्त की।”
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि लोकतांत्रिक देशों को एकजुट होकर आतंकवाद का मुकाबला करना चाहिए, क्योंकि यह किसी एक देश का नहीं, बल्कि पूरी दुनिया का संकट है।
“पहलगाम हमले से स्तब्ध हूं”: लाशेट
बुंडेस्टाग (जर्मन संसद) की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष आर्मिन लाशेट ने प्रतिनिधिमंडल से बात करते हुए कहा:
“मैं पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले से स्तब्ध हूं। भारत और जर्मनी वैश्विक सुरक्षा के मुद्दे पर एक विश्वसनीय साझेदारी साझा करते हैं। जर्मनी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ खड़ा है।”
वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान की घेरेबंदी
यह प्रतिनिधिमंडल उन सात बहुदलीय टीमों में से एक है जिन्हें भारत सरकार ने दुनियाभर के 33 वैश्विक राजधानियों में भेजा है, ताकि पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क और उसकी नीति को बेनकाब किया जा सके। भारत द्वारा चलाए गए “ऑपरेशन सिंदूर” और 7 मई को किए गए सटीक सैन्य हमलों के बाद, भारत ने पाकिस्तान को स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ उसकी नीति अब एकदम निर्णायक होगी।
चार दिनों तक सीमा पर चली कार्रवाई के बाद 10 मई को भारत और पाकिस्तान के DGMO के बीच बातचीत हुई, जिसमें फायरिंग रोकने पर सहमति बनी।