अहमदाबाद विमान हादसे में डीएनए टेस्ट कैसे करेगा मृतकों की पहचान?
12 जून को अहमदाबाद में हुए भीषण विमान हादसे में शव इस कदर जल चुके हैं कि उनकी सामान्य तरीकों से पहचान करना संभव नहीं है। ऐसे में अब मृतकों की शिनाख्त डीएनए टेस्ट के ज़रिए की जा रही है — जो कि वैज्ञानिक दृष्टि से सबसे सटीक तरीका माना जाता है।
डीएनए टेस्ट होता क्या है और कैसे काम करता है?
डीएनए यानी डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड हर इंसान के शरीर में मौजूद एक अनोखा जैविक कोड होता है, जो उसे दूसरों से अलग बनाता है। यही डीएनए व्यक्ति की पहचान का सबसे पुख्ता आधार होता है। हादसे के बाद जब शव बुरी तरह जल जाते हैं और पहचान के सामान्य माध्यम जैसे कपड़े, गहने, या शरीर की बनावट बेकार हो जाती है, तब डीएनए टेस्ट ही एकमात्र विकल्प रह जाता है।
डीएनए टेस्ट की प्रक्रिया:
- परिजनों से सैंपल लिया जाता है:
सबसे पहले मृतक के खून के रिश्तेदार — माता-पिता, बच्चे, भाई-बहन, दादा-दादी या चाचा-ताऊ से ब्लड सैंपल लिया जाता है। - शव से बचा हुआ सैंपल लिया जाता है:
शव अगर कुछ हद तक सुरक्षित है, तो त्वचा (स्किन) से सैंपल लिया जाता है। यदि शरीर पूरी तरह जल चुका हो, तो दांत, जांघ की हड्डी (फीमर), बाल, या अन्य टिश्यू लिए जाते हैं। - X और Y क्रोमोसोम का मिलान:
हर व्यक्ति के डीएनए में उसकी माता और पिता से मिला आधा-आधा जेनेटिक प्रोफाइल होता है।- यदि परिजन महिला हैं, तो X क्रोमोसोम का मिलान किया जाता है।
- यदि परिजन पुरुष हैं, तो Y क्रोमोसोम का मिलान किया जाता है।
इस तरह मृतक के डीएनए प्रोफाइल की तुलना उनके परिजन के डीएनए से की जाती है और सटीक पहचान सुनिश्चित की जाती है।
कितने दिन लगते हैं?
सामान्य स्थिति में डीएनए जांच में 1 से 2 दिन लगते हैं। लेकिन अहमदाबाद हादसे में मृतकों की संख्या अधिक है, और उनके सैंपल देश की अलग-अलग डीएनए लैब्स में भेजे जा सकते हैं। ऐसे में प्रक्रिया में कुछ दिनों का अधिक समय भी लग सकता है।
क्यों है यह ज़रूरी?
मृतकों के परिजनों को सही शव सौंपना न सिर्फ कानूनी, बल्कि भावनात्मक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी बेहद ज़रूरी है। डीएनए टेस्ट ही वह वैज्ञानिक तरीका है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि अंतिम संस्कार सही व्यक्ति का हो रहा है।