इज़रायल-ईरान संघर्ष: खामनेई के ‘नवरत्न’ 6 दिन में ढेर, ईरान की सुरक्षा संरचना को जबरदस्त झटका
इज़रायल और ईरान के बीच छिड़े हालिया संघर्ष ने केवल सैन्य नहीं, बल्कि रणनीतिक और राजनीतिक समीकरणों को भी झकझोर कर रख दिया है। इज़रायल ने सिर्फ 6 दिनों में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के 9 प्रमुख सहयोगियों – जिन्हें ‘नवरत्न’ कहा जा रहा है – को निशाना बनाकर मार गिराया है। ये सभी सुरक्षा, खुफिया, परमाणु और सैन्य रणनीति से जुड़े शीर्ष अधिकारी थे।
खामेनेई के मारे गए ‘नवरत्न’ और उनकी भूमिका
क्रम | नाम | भूमिका | कब मारे गए | विशेषता |
---|---|---|---|---|
1. | हुसैन सलामी | IRGC प्रमुख (कमांडर-इन-चीफ) | 12 जून | खामेनेई के सबसे विश्वस्त सैन्य कमांडर |
2. | मोहम्मद बाघेरी | सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ | 12 जून | ईरान-इराक युद्ध के वेटरन, शीर्ष सैन्य रणनीतिकार |
3. | गुलाम अली राशीद | ‘खातम अल-अनबिया’ मुख्यालय प्रमुख | 12 जून | युद्धकालीन कमांडर |
4. | फेरेदून अब्बासी | परमाणु वैज्ञानिक, पूर्व एटोमिक एनर्जी प्रमुख | 12 जून | ईरान का “ओपेनहाइमर” |
5. | जनरल मोहम्मद काज़मी | IRGC खुफिया प्रमुख | 15 जून | “स्पाइमास्टर”, इंटेल एजेंसियों के प्रमुख |
6. | अली शादमानी | युद्धकालीन चीफ ऑफ स्टाफ | 17 जून | राशीद की जगह लिए, मेजर जनरल बने |
7. | मोहम्मद मेहदी तेहरांची | परमाणु वैज्ञानिक, यूनिवर्सिटी प्रमुख | 12 जून | प्रमुख रिसर्चर, हथियारों में योगदानकर्ता |
8. | ब्रिगेडियर जनरल अमीर अली हाजीजादेह | IRGC एयर फोर्स प्रमुख | 12 जून | बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम के मुख्य प्रभारी |
9. | अली शामखानी | खामेनेई के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार | 12-13 जून | पूर्व NSC प्रमुख, रणनीतिक सलाहकार |
असर कितना बड़ा?
- कमांड वेक्यूम: ईरानी सैन्य नेतृत्व में नेतृत्व का संकट पैदा हो गया है। खामेनेई के सबसे भरोसेमंद सलाहकार मारे गए हैं।
- न्यूक्लियर प्रोग्राम को झटका: फेरेदून अब्बासी, तेहरांची जैसे वैज्ञानिकों की मौत से ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षा को सीधा धक्का लगा है।
- खुफिया ढांचा हिला: काज़मी और शामखानी जैसे लोग जिनके पास वर्षों का नेटवर्क था, उनकी मौत से इंटेलिजेंस गैप पैदा हो गया है।
- मनौवैज्ञानिक झटका: जनता और सेना के बीच अस्थिरता बढ़ सकती है। खामेनेई के भरोसेमंद चेहरे खोने से अंदरूनी दरारें गहरी हो सकती हैं।
आगे क्या?
- ईरान अब बदले की रणनीति या साइबर-हथियार की ओर रुख कर सकता है।
- इज़रायल का यह ऑपरेशन दर्शाता है कि वह ईरान के नेतृत्व को ‘डिसेबल’ करने की रणनीति पर काम कर रहा है, न कि सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर तबाह करने की।
- ईरान की प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है कि यह पूर्ण युद्ध में बदलता है या प्रॉक्सी वॉर की अगली कड़ी बनता है।
हमारी यूट्यूब चैनल को लाइक, शेयर और सब्सक्राइब करे
Like, Share and Subscribe our YouTube channel