12 जून 2025 को अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया के बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान हादसे की जांच अभी भी जारी है, लेकिन इस भीषण त्रासदी के बीच कुछ चौंकाने वाले और भावनात्मक पहलू सामने आए हैं। हादसे की जगह से कई कीमती वस्तुएं बरामद की गई हैं, जिनमें सोने के आभूषण, नकदी, पासपोर्ट और पवित्र भगवद् गीता शामिल है। सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि भगवद् गीता को आग की भयावह लपटों के बावजूद कोई नुकसान नहीं पहुंचा, जिसे वहां मौजूद राहतकर्मियों ने एक चमत्कार के रूप में देखा।
यह विमान अहमदाबाद से लंदन जा रहा था और टेक-ऑफ के तुरंत बाद तकनीकी खराबी के कारण दुर्घटनाग्रस्त होकर बीजे मेडिकल कॉलेज की मेस पर जा गिरा। हादसे के समय छात्र भोजन कर रहे थे और टकराव के साथ ही भयानक आग लग गई। इस हादसे में विमान के यात्रियों, क्रू मेंबर्स और हॉस्टल मेस में मौजूद छात्रों सहित कुल 297 लोगों की मृत्यु हो गई, केवल एक यात्री जीवित बच पाया।
स्थानीय स्वयंसेवक राजू पटेल, जो वर्ष 2008 के अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट के समय भी राहत कार्य में शामिल थे, इस बार भी सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंचने वालों में शामिल थे। उन्होंने बताया कि आग की भीषणता के कारण शुरू के 15-20 मिनट तक पास जाना संभव नहीं था। बाद में जब फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस पहुंची, तब जाकर स्थानीय लोगों की मदद से राहत कार्य शुरू हुआ। स्ट्रेचर न होने के कारण घायल लोगों को साड़ियों और चादरों में लपेटकर अस्पताल पहुंचाया गया।
राजू और उनकी टीम को मलबे के बीच यात्रियों का सामान बिखरा मिला। उन्होंने करीब 70 तोले (800 ग्राम) सोना, 80,000 रुपये नकद, पासपोर्ट और भगवद् गीता को बरामद किया और इन्हें तुरंत पुलिस को सौंप दिया।
गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने बयान जारी कर बताया कि घटनास्थल से मिले हर सामान का विधिवत दस्तावेजीकरण किया जा रहा है और उचित पहचान के बाद यह सामान मृतकों के परिजनों को लौटाया जाएगा। उन्होंने राहत कार्य में शामिल सभी लोगों की ईमानदारी और संवेदनशीलता की सराहना की।
यह विमान हादसा न सिर्फ तकनीकी जांच का विषय है, बल्कि मानवीय साहस, ईमानदारी और धार्मिक आस्था की मिसाल भी बन गया है। भगवद् गीता का बिना जले मिलना उन परिवारों के लिए भी एक सांत्वना बना है, जिन्होंने इस त्रासदी में अपने प्रियजनों को खोया है।
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