भारत का सबसे बड़ा DNA मैचिंग मिशन कैसे चल रहा है
अहमदाबाद से लंदन जा रहे एयर इंडिया के विमान की भयावह दुर्घटना में 241 यात्रियों की जान चली गई और शव इतने बुरी तरह जल गए कि उनकी पहचान कर पाना लगभग असंभव हो गया। इसी असंभव कार्य को मुमकिन बनाने के लिए भारत ने अब तक का सबसे बड़ा DNA मैचिंग मिशन शुरू किया है।
कैसे चलाया जा रहा है ये महामिशन?
- क्रैश साइट (मेघानीनगर) से सभी अवशेष सावधानी से इकट्ठा किए गए और सील पैक कर उन्हें फोरेंसिक लैब भेजा गया।
- मृतकों की हड्डियों, ऊतकों और दांतों से DNA निकाला गया।
- परिजनों को बी.जे. मेडिकल कॉलेज बुलाकर उनके ब्लड सैंपल लिए गए।
- सैंपलों को गांधीनगर फोरेंसिक साइंस निदेशालय, नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी और अन्य लैब्स में भेजा गया।
- RT-PCR और DNA सीक्वेंसिंग तकनीक के जरिए 23 जेनेटिक एलील्स का मिलान अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार किया गया।
- डीएनए मैच होने पर मृतकों के अवशेषों को उनके परिजनों को सिविल अस्पताल में सौंपा गया।
कितने विशेषज्ञ और संसाधन लगाए गए?
- 40+ फोरेंसिक एक्सपर्ट्स और डॉक्टर्स
- 200+ सहायक स्टाफ और अधिकारी
- 3 फोरेंसिक लैब्स (राजकोट, सूरत, वडोदरा)
- 300+ सैंपलों की प्रोसेसिंग, 250+ परिजनों के सैंपल
तेजी से मिला नतीजा:
- पहले 36 घंटों में पहला DNA मैच
- पहले 100 घंटों में 167 शवों की पहचान
- 7वें दिन तक 210 लोगों की पहचान की जा चुकी है
- अब तक 187 शव उनके परिजनों को सौंपे जा चुके हैं, जिनमें 30 ब्रिटिश और 4 पुर्तगाली नागरिक भी शामिल हैं
भारत की एक नई उपलब्धि:
यह DNA मिलान का अभियान न केवल तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण था, बल्कि मानवता की दृष्टि से भी अत्यंत संवेदनशील था। यह अब तक का सबसे बड़ा और तेज़ DNA पहचान मिशन बन गया है, जिसने भारत को इस क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर एक नई ऊंचाई दी है।
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