आंध्र प्रदेश में मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू द्वारा जनसंख्या वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए किए गए इस अनूठे कदम ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है। इस नीति का मुख्य उद्देश्य गिरती हुई जन्म दर को रोकना और जनसंख्या में गिरावट के संभावित नकारात्मक प्रभावों का मुकाबला करना है।
नीति के मुख्य बिंदु:
- चुनाव योग्यता से जुड़ी शर्तें:
मुख्यमंत्री नायडू ने घोषणा की कि पंचायत, नगर निगम, या अन्य स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों के पास दो से अधिक बच्चे होना अनिवार्य होगा। यह निर्णय न केवल जनसंख्या वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए है, बल्कि सामाजिक स्तर पर बड़े परिवारों को समर्थन देने की एक कोशिश है। - गिरती जन्म दर पर चिंता:
नायडू ने इस बात पर जोर दिया कि भारत को दक्षिण कोरिया, जापान, और यूरोपीय देशों जैसी गलती से बचना चाहिए, जहां जनसंख्या में भारी गिरावट ने सामाजिक और आर्थिक असंतुलन पैदा किया है। - डबल इनकम नो किड्स (DINK) अवधारणा पर आलोचना:
उन्होंने कहा कि “डबल इनकम नो किड्स” जैसे चलन चिंताजनक हैं, क्योंकि यह भविष्य में जनसांख्यिकीय संकट पैदा कर सकता है। नायडू ने वर्तमान पीढ़ी को परिवार बढ़ाने की जिम्मेदारी समझने की सलाह दी। - 2047 तक की जनसंख्या योजना:
मुख्यमंत्री ने भविष्यवाणी की कि 2047 तक भारत जनसांख्यिकीय लाभांश (युवाओं की अधिकता) का लाभ उठा सकेगा। लेकिन इसके बाद, अगर जन्म दर कम रहती है, तो बुजुर्गों की बढ़ती संख्या आर्थिक और सामाजिक बोझ बन सकती है।
अंतरराष्ट्रीय उदाहरण:
नायडू ने दक्षिण कोरिया, जापान, और यूरोपीय देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि इन देशों ने जनसंख्या स्थिरता और आर्थिक प्रगति पर अधिक ध्यान दिया, लेकिन घटती जन्म दर ने उनकी दीर्घकालिक स्थिरता को प्रभावित किया। अब वे जनसंख्या वृद्धि के लिए प्रोत्साहन योजनाएं शुरू कर रहे हैं।
सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव:
- बड़े परिवारों को बढ़ावा:
इस नीति से बड़े परिवारों को सामाजिक मान्यता और समर्थन मिलेगा। - चुनाव लड़ने के लिए नई शर्तें:
दो से अधिक बच्चों की शर्त राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर विवाद का कारण बन सकती है, लेकिन यह जनसंख्या स्थिरता की दिशा में एक साहसिक कदम है।
संभावित चुनौतियां:
- समाज में असमानता:
यह नीति उन परिवारों को हतोत्साहित कर सकती है जो आर्थिक कारणों से अधिक बच्चे नहीं चाहते। - सामाजिक आलोचना:
जनसंख्या नियंत्रण के दौर में यह नीति पारंपरिक विचारों का प्रतीक मानी जा सकती है और इसे आलोचना का सामना करना पड़ सकता है।
मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का यह कदम एक नया दृष्टिकोण पेश करता है, जो जनसंख्या प्रबंधन के आधुनिक विचारों के विपरीत है। जहां कई राज्य और देश जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, आंध्र प्रदेश का यह निर्णय जनसंख्या स्थिरता और दीर्घकालिक सामाजिक-आर्थिक लाभों को ध्यान में रखकर लिया गया है। हालांकि, इस नीति के दीर्घकालिक प्रभावों का आकलन इसके क्रियान्वयन और सामाजिक प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगा।