पत्नी या पति के जीवित रहते असम के कर्मचारी अब दूसरी शादी नहीं कर पाएँगे। यह सभी कर्मचारियों पर लागू होगा। मजहब के हिसाब से छूट नहीं मिलेगी। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा है कि असम सरकार दूसरी शादी की इजाजत किसी भी कर्मचारी को नहीं देगी, भले ही उनका मजहब इसकी इजाजत देता हो। विशेष परिस्थितियों में दूसरी शादी के लिए कर्मचारियों को सरकार से अनुमति लेनी होगी।
सीएम सरमा ने बताया कि ऐसे मामले सामने आते रहते हैं जब मुस्लिम कर्मचारी दो शादी कर लेते हैं। बाद में उनकी दोनों बीवी पेंशन के लिए लड़ती रहती हैं। इसे देखते हुए यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू करने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में कानून पहले से ही था। अब इसे लागू करने का फैसला किया गया है।
बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने का यह आदेश असम के चार लाख सरकारी कर्मचारियों के लिए 58 साल पहले बनाए गए एक सेवा नियम के तहत आया है। इसके अनुसार सरकार की सहमति के बगैर कर्मचारी तब तक दूसरी शादी नहीं कर सकते जब तक पहला पति या पत्नी जीवित है।
असम सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के नियम 26 के तहत सरकार की मंजूरी के बगैर दूसरी शादी प्रतिबंधित है। यदि कोई कर्मचारी ऐसा करता है तो उसे कदाचार माना जाता है।
मुस्लिमों का जिक्र किए बगैर इस परिपत्र में कहा गया है कि यह नियम उन पुरुषों पर भी लागू है, जिन्हें पर्सनल लॉ के तहत दूसरी शादी करने की इजाजत है। इस ‘ऑफिस मेमोरेंडम’ में कहा गया है कि इसी तरह, कोई भी महिला सरकारी कर्मचारी जिसका पति जीवित हो वो सरकार की मँजूरी लिए बगैर किसी भी शख्स से शादी नहीं कर सकेंगी।
ये अधिसूचना कार्मिक अतिरिक्त मुख्य सचिव नीरज वर्मा ने शुक्रवार (20 अक्टूबर,2023) को जारी की थी, लेकिन यह गुरुवार (26 सितंबर,2023) को सामने आई। इसमें कहा गया है कि दिशा-निर्देश असम सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम 26 के प्रावधानों के तहत जारी किए गए हैं।
इस आदेश में कहा गया है, “इन प्रावधानों के संदर्भ में, अनुशासनात्मक प्राधिकारी इस नियम को न मानने वाले कर्मचारियों पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति सहित बड़ा जुर्माना लगाने के लिए तत्काल विभागीय कार्यवाही शुरू कर सकते हैं।”