बिहार की हालिया घटनाएं — इंसानियत को झकझोरने वाली
- मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर में हाल ही में दो बच्चियों के साथ बलात्कार के बाद क्रूरतम तरीके से हत्या की गई।
- समाज में डर और गुस्से का माहौल है, पर यह आवाजें कब तक अनसुनी रहेंगी?
NCRB और CRY के डरावने आंकड़े:
वर्ष | दर्ज बलात्कार के मामले (बच्चियों के) |
---|---|
2016 | 19,765 |
2017 | 27,616 |
2018 | 30,917 |
2019 | 31,132 |
2020 | 30,705 |
2021 | 36,381 |
2022 | 38,911 |
2016 से 2022 तक इनमें 96.8% की वृद्धि हुई है।
रेप के बाद हत्या (2022 के आंकड़े):
- मध्य प्रदेश: 18 मामले (सर्वाधिक)
- महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश: 14-14
- गुजरात: 7
- हरियाणा: 6
- छत्तीसगढ़: 5
कुल 99 मामले दर्ज, जिनमें 122 बच्चियां पीड़ित रहीं।
बच्चियों से रेप के शीर्ष 5 राज्य (2022):
- मध्य प्रदेश
- महाराष्ट्र
- उत्तर प्रदेश
- ओडिशा
- तमिलनाडु
इन 5 राज्यों में ही आधे से ज़्यादा मामले दर्ज हुए।
फास्ट ट्रैक अदालतों की स्थिति:
- सरकार के अनुसार देशभर में 790 विशेष अदालतें बननी हैं।
- 31 अक्तूबर 2024 तक 750 अदालतें स्थापित हो चुकी हैं (408 POCSO विशेष अदालतें)।
- इन अदालतों में 2.87 लाख से अधिक मामलों का निपटारा हुआ है।
जमीनी हकीकत और सवाल:
- फास्ट ट्रैक अदालतों की संख्या बढ़ी है, लेकिन न्याय मिलने की रफ्तार अभी भी बहुत धीमी है।
- सख्त कानून होने के बावजूद, दोषियों को सजा मिलने की दर बेहद कम है।
- समाज में पीड़िता को न्याय से ज्यादा शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है।
- कई मामलों में FIR तक दर्ज नहीं होती, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
क्या किया जाना चाहिए?
उपाय | विवरण |
---|---|
समयबद्ध न्याय | POSCO और बलात्कार मामलों में 6 माह के अंदर सजा तय हो। |
पुलिस प्रशिक्षण | संवेदनशीलता और साक्ष्य संरक्षण में सुधार हो। |
सामाजिक जागरूकता | स्कूलों, गांवों में बाल संरक्षण की शिक्षा हो। |
मीडिया की भूमिका | घटना का सनसनीकरण नहीं, बल्कि संवेदनशील रिपोर्टिंग हो। |
आरोपियों के लिए त्वरित कड़ी सजा | फांसी या उम्रकैद जैसे सख्त दंड सार्वजनिक रूप से घोषित हों। |
निष्कर्ष:
आज बिहार रो रहा है, लेकिन यह आँसू केवल वहाँ के नहीं, यह पूरे देश की बेटियों की चीख है। आंकड़े सिर्फ संख्या नहीं, किसी के उजड़े घर, लुटी अस्मिता और बिखरते बचपन की तस्वीरें हैं।
यह समय गुस्से से ज्यादा जवाबदेही और एकजुटता का है — समाज, सरकार, पुलिस, न्यायपालिका और मीडिया — सभी की।