प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के रोहतास ज़िले के काराकाट में एक बड़ी चुनावी रैली में पाकिस्तान और आतंकवादियों को एक बार फिर जमकर ललकारा। उनका भाषण पूरी तरह से राष्ट्रवाद, सुरक्षा और निर्णायक नेतृत्व के संदेशों से भरा था।
पीएम मोदी की दूसरी ललकार: “बिल से खींचकर कुचल देंगे”
“आतंक का फन अगर फिर उठेगा, तो भारत उसे बिल से खींचकर कुचलने का काम करेगा…”
यह एक स्पष्ट और तीखा संदेश है – भारत अब रक्षात्मक नहीं, आक्रामक रणनीति पर काम करता है।
सुरक्षा नीति की मजबूती: ऑपरेशन सिंदूर का संदर्भ
- पीएम मोदी ने ज़ोर देकर कहा कि भारत ने पाकिस्तान के एयरबेस और सैन्य ठिकानों को कुछ ही मिनटों में तबाह कर दिया।
- यह कथित रूप से “ऑपरेशन सिंदूर” का उल्लेख था, जिसमें भारत ने पुलवामा हमले के बाद जवाबी कार्रवाई की।
- उन्होंने कहा:
“भारत की बेटियों के सिंदूर की ताकत क्या होती है, अब पाकिस्तान और दुनिया ने देख ली है।”
“यह तो तरकश का एक ही तीर है” — भारत की रणनीतिक चेतावनी
- पीएम मोदी ने कहा कि दुश्मनों को यह समझना होगा कि अभी तो एक ही तीर चला है।
- यह इंगित करता है कि भारत के पास और भी रणनीतिक विकल्प उपलब्ध हैं।
आंतरिक और बाहरी दुश्मनों को एक साथ चेतावनी
“हमारी लड़ाई देश के हर दुश्मन से है — फिर चाहे वह सीमा पार हो या देश के भीतर हो।”
- यह बयान न केवल पाकिस्तान, बल्कि नक्सलवादियों, आतंरिक उग्रवाद, और राजनीतिक अस्थिरता फैलाने वालों को भी चेतावनी है।
नक्सल प्रभावित बिहार का उल्लेख
- पीएम मोदी ने कहा कि:
“सासाराम, कैमूर, और आसपास के इलाकों में कभी नकाबपोश बंदूकधारी नक्सली खौफ पैदा करते थे। अब वह स्थिति बदल चुकी है।”
- यह बताने की कोशिश कि एनडीए सरकार ने शांति और विकास का माहौल लौटाया।
पहले दिया वादा – अब निभाया वचन
“मैंने बिहार से वादा किया था कि आतंकियों को कल्पना से बड़ी सजा देंगे — और हमने ऑपरेशन सिंदूर से उसे निभाया।”
- पीएम मोदी ने यह बात पहलगाम हमले के बाद दी गई अपनी प्रतिक्रिया से जोड़ा।
- अब वह बिहार की धरती पर ‘वचन निभाने’ की दुहाई दे रहे हैं।
चुनावी संदर्भ में प्रभाव
यह भाषण:
- राष्ट्रीय सुरक्षा को चुनावी मुद्दा बना रहा है।
- पीएम मोदी को एक निर्णायक नेता, और विपक्ष को कमज़ोर विकल्प के रूप में प्रस्तुत करता है।
- युवाओं, सैनिक परिवारों, और राष्ट्रवादी मतदाताओं में स्पष्ट रूप से अपील करता है।
निष्कर्ष
पीएम मोदी का यह भाषण सिर्फ एक रैली नहीं था, यह एक रणनीतिक चुनावी संदेश था:
✔ आतंक के प्रति जीरो टॉलरेंस
✔ भारत की नई आक्रामक नीति का परिचय
✔ विकास और सुरक्षा के संतुलन का दावा
✔ पहले किए वादों को पूरा करने का रिकॉर्ड