भारतीय रुपये में बुधवार को आई गिरावट देश की अर्थव्यवस्था और आम लोगों दोनों के लिए एक अहम संकेत है। डॉलर के मुकाबले रुपया 25 पैसे गिरकर 85.86 पर पहुंच गया है, जो वित्तीय क्षेत्र में चिंता का विषय बनता जा रहा है।
रुपये में गिरावट: प्रमुख बिंदु
पहलू | विवरण |
---|---|
डॉलर के मुकाबले रुपया | 25 पैसे गिरकर 85.86 |
पिछला बंद भाव | 85.61 प्रति डॉलर |
डॉलर इंडेक्स | 99.18 (0.05% की गिरावट) |
ब्रेंट क्रूड भाव | $65.42 प्रति बैरल (0.32% गिरावट) |
FIIs का रवैया | ₹2,853.83 करोड़ की शुद्ध बिकवाली |
शेयर बाजार | सेंसेक्स +230.17 (80,967), निफ्टी +70.25 (24,612) |
रुपये में गिरावट के प्रमुख कारण
- डॉलर की सुरक्षित मांग
- वैश्विक अनिश्चितता के दौर में निवेशक डॉलर को ‘सेफ हेवन’ मानकर उसकी ओर झुकते हैं, जिससे रुपये की मांग घट जाती है।
- विदेशी निवेशकों की बिकवाली (FIIs)
- FII द्वारा भारतीय शेयरों में भारी बिकवाली से रुपये पर दबाव पड़ा है।
- कच्चे तेल की कीमतें
- तेल की कीमतें भले ही कम हुई हैं, लेकिन लंबे समय से ऊंचे दाम के कारण आयात बिल बढ़ा, जिससे रुपये पर असर पड़ा।
रुपये के कमजोर होने का सीधा असर आम नागरिकों पर
क्षेत्र | प्रभाव |
---|---|
महंगाई | आयातित वस्तुएं महंगी, रोज़मर्रा की चीज़ें प्रभावित |
विदेश यात्रा | टिकट, होटल, खर्च — सब महंगे |
विदेशी शिक्षा | ट्यूशन फीस, रहने का खर्च, डॉलर में देनदारी बढ़ेगी |
निर्यात | निर्यातकों को बढ़े हुए डॉलर रेट से लाभ |
क्या आगे और गिर सकता है रुपया?
यह निर्भर करेगा:
- विदेशी निवेशकों की आगे की रणनीति पर
- वैश्विक घटनाओं (जैसे अमेरिकी फेड की दरों में बदलाव, जियोपॉलिटिकल घटनाएं)
- घरेलू आर्थिक नीतियों व रिज़र्व बैंक (RBI) के हस्तक्षेप पर
क्या करें? (निवेशकों और आम नागरिकों के लिए सुझाव)
- विदेशी खर्च (यात्रा, पढ़ाई) को प्लान करते समय भविष्य के रेट को ध्यान में रखें
- निवेशक रुपया आधारित संपत्तियों में विविधता लाएं
- निर्यात से जुड़े व्यवसाय लाभ उठा सकते हैं