छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार द्वारा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात 295 पुलिसकर्मियों को “आउट ऑफ टर्न” प्रमोशन देने का निर्णय राज्य में आंतरिक सुरक्षा और नक्सलवाद विरोधी अभियान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस फैसले के दो प्रमुख पहलू हैं:
1. नक्सल विरोधी अभियान में वीरता का सम्मान:
- उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा और डीजीपी अरुण देव गौतम के नेतृत्व में यह आदेश जारी किया गया है।
- प्रमोशन पाने वाले पुलिसकर्मी मुख्यतः बस्तर संभाग के 7 जिलों से हैं:
- दंतेवाड़ा, बीजापुर, बस्तर, नारायणपुर, कोंडागांव, सुकमा और कांकेर
- प्रमोशन की श्रेणियाँ:
- 206 कांस्टेबल → प्रधान आरक्षक
- 37 प्रधान आरक्षक → एएसआई
- 15 एएसआई → एसआई
- 16 एसआई → निरीक्षक
- 3 प्लाटून कमांडर → कंपनी कमांडर
- 6 सहायक प्लाटून कमांडर → प्लाटून कमांडर
- 12 अन्य → सहायक प्लाटून कमांडर
- यह कदम पुलिसबल के士 मनोबल को बढ़ाएगा और उन्हें बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित करेगा।
2. अवैध प्रवासियों के खिलाफ एसटीएफ का गठन:
- गृह विभाग के मुखिया विजय शर्मा ने बताया कि राज्य में बांग्लादेशी नागरिकों के फर्जी पहचान पत्रों के साथ बसने के मामलों में वृद्धि देखी गई है।
- एसटीएफ (Special Task Force) की स्थापना अब राज्य के हर जिले में की जाएगी ताकि:
- अवैध प्रवासियों की पहचान हो सके,
- उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सके।
- विजय शर्मा ने आम लोगों से अपील की है:
- किराएदारों की जानकारी स्थानीय पुलिस को दें।
- किसी को भी बिना वैरिफिकेशन के घर किराए पर न दें।
इस निर्णय के व्यापक निहितार्थ:
- नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भरोसा बढ़ेगा कि सरकार उनकी सुरक्षा में संलग्न सुरक्षाकर्मियों के त्याग को सम्मान देती है।
- राज्य में राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंडा को स्पष्ट रूप से आगे बढ़ाया जा रहा है, खासकर सीमावर्ती और संवेदनशील जिलों में।
- अवैध प्रवासियों की उपस्थिति से जुड़ी आंतरिक सुरक्षा चिंताओं को अब सीधे संस्थागत निगरानी के तहत लाया जा रहा है।