इंटर-एम्स रेफरल पोर्टल के शुभारंभ के साथ भारत के हेल्थकेयर सिस्टम में एक नई डिजिटल क्रांति की शुरुआत हो चुकी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा द्वारा मंगलवार को लॉन्च किए गए इस पोर्टल से एम्स संस्थानों के बीच इलाज, बेड आवंटन और मरीज रेफरल प्रक्रिया पहले से कहीं अधिक कुशल, पारदर्शी और तकनीकी रूप से उन्नत हो जाएगी।
क्या है यह पोर्टल?
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दिल्ली एम्स द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित तकनीकी प्लेटफॉर्म है।
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देशभर के एम्स संस्थानों के बीच मरीज रेफरल और जानकारी साझा करने की प्रणाली को सुदृढ़ बनाएगा।
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शुरुआत में यह एम्स दिल्ली और एम्स बिलासपुर के बीच पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू हुआ है।
प्रमुख विशेषताएं:
✅ रेफरल से पहले पूरी तैयारी
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दूसरे राज्य से दिल्ली एम्स भेजे जा रहे मरीजों के लिए पहले से बेड रिजर्वेशन।
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डॉक्टरों के पास मरीज की मेडिकल हिस्ट्री पहले से उपलब्ध होगी।
✅ उच्च तकनीक का उपयोग
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फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम से मरीज की पहचान में पारदर्शिता।
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ऑटोमेटेड वर्क फ्लो के जरिए समय की बचत और मैन्युअल प्रक्रिया में कमी।
✅ मरीजों और तीमारदारों की सुविधा
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पोर्टल को “विश्राम सदन” की ऑनलाइन बुकिंग सेवा से जोड़ा जाएगा।
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मरीज के साथ आए परिजनों को आरामदायक प्रवास सुविधा।
Chaired the 8th Central Institute Body Meeting of AIIMS in New Delhi. We discussed the development of AIIMS as Institutes of Excellence in teaching, clinical care, and research.
With 18 out of 22 AIIMS now operational, they are delivering state-of-the-art, affordable healthcare… pic.twitter.com/1bIzUO0YWq
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) April 9, 2025
समस्या और समाधान का मॉडल:
समस्या | समाधान |
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एम्स दिल्ली में बेड की भारी कमी (50 बेड, रोज 800+ मरीज) | रेफरल सिस्टम के जरिए कम गंभीर मरीजों को अन्य अस्पतालों में शिफ्ट करना |
मरीजों की मैन्युअल एंट्री और कागज़ी प्रक्रिया | डिजिटल वर्कफ्लो और डाटा शेयरिंग से प्रक्रिया आसान और तेज |
इलाज के लिए दूर-दराज़ से आने वाले मरीजों की भटकाव और असुविधा | बेड और डॉक्टर की जानकारी पहले से, साथ में ठहरने की व्यवस्था भी |
यह पायलट प्रोजेक्ट कहाँ शुरू हुआ?
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शुरुआत में इसे एम्स दिल्ली और एम्स बिलासपुर के बीच जोड़ा गया है।
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धीरे-धीरे इसे देश के अन्य सभी एम्स संस्थानों से जोड़ा जाएगा।
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पायलट फेज में कमियों और सुधार की जरूरतों को भी परखा जाएगा।
क्यों था इसकी जरूरत?
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एम्स दिल्ली के आपातकालीन विभाग में हर दिन 800+ मरीज आते हैं, जबकि सिर्फ 50 बेड उपलब्ध होते हैं।
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कई मरीजों को केवल अस्थायी निगरानी या मामूली इलाज की जरूरत होती है, जिन्हें अन्य एम्स या सामान्य अस्पतालों में रेफर किया जा सकता है—लेकिन कोऑर्डिनेशन की कमी से वे भटकते रहते हैं।
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अब ये प्रक्रिया डिजिटली मैनेज होगी।
क्या होगा मरीजों को फायदा?
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वेटिंग टाइम कम होगा, भर्ती की प्रक्रिया आसान होगी।
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बेहतर मेडिकल समन्वय के चलते गंभीर मरीजों को तेजी से इलाज मिलेगा।
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तीमारदारों को भी सुविधा, रुकने की व्यवस्था पहले से सुनिश्चित।
यह पहल एक “डिजिटल हेल्थकेयर इकोसिस्टम” की दिशा में बड़ा कदम है, और यदि पूरे देश में इसे सफलतापूर्वक लागू किया गया, तो एम्स की अत्यधिक भीड़, बेड की समस्या और रेफरल में देरी जैसे ज्वलंत मुद्दों का हल मिल सकता है।